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कोविड प्रोटोकॉल के कारण धीमी गति से हो रही मतगणना के कारण देर रात तक आए परिणामों के बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को अपने बागी सुवेंदु अधिकारी से नंदीग्राम सीट पर पटखनी खानी पड़ी। लेकिन अन्य सीटों पर आए मजबूत सीटों के साथ ममता की अगुआई तृणमूल कांग्रेस ने तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए जीत की हैट्रिक लगाकर इस दर्द पर मरहम लगा दिया।
वहीं असम में भाजपा भी अपनी सत्ता बरकरार रखने में सफल रही, जबकि केरल में अपनी सत्ता बचाकर वाम मोर्चे ने राज्य में हर पांच साल में परिवर्तन की परंपरा पर विराम लगाने का इतिहास रचा। TN में द्रमुक की अगुआई वाले विपक्षी गठबंधन और पुडुचेरी में विपक्षी एनडीए को सत्ता द्वारा मतदाताओं ने परिवर्तन का बिगुल बजाया।
इन चुनावों में जहां भाजपा की पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने की आस अधूरी रह गई, वहीं दक्षिणी राज्यों में भी उसकी कद बड़ा करने की मनोकामना पूरी नहीं हो सकी। इन चुनावों में अंतर्द्वंद्व से जूझ रही कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस को पुडुचेरी में सत्ता गंवानी पड़ी, तो उसकी असम और केरल में सत्ता में वापसी के उसके अरमानों पर भी जोर दिया गया। पार्टी की अगुवाई वाले गठबंधन को पश्चिम बंगाल में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
हालांकि TN में द्रमुक के पक्ष में चली लहर का लाभ उसके सहयोगी के तौर पर कांग्रेस को भी मिला। दूसरी ओर जीत की हैट्रिक के साथ ही ममता राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी सियासी कद बड़ा करने में कामयाब रही हैं।
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