आदि शंकराचार्य जयंती का महत्व: पत्ती गुरुशंकराचार्य जी का वैशाख माह में शुक्ल कल्याण की तारीख शुरू हो गई है। देश के सभी हिंदू धर्मावलियों के जन्म के समय इस साल 17 मई 2021 में जन्म के समय शंकाराचार्य का जन्म होगा। जद्गुरु शंकराचार्य के नाम से भी जाना है।
जगगुरुशंकराचार्य भारत के वैज्ञानिक विज्ञान में एक हैं। सुन्दर संस्कृति और सनातन धर्म को सुविचारित करने का कार्य। हिंदू धर्म के लोग हैं जो कि गुरु शंकाराचार्य को कम आयु में ही वेदों का ज्ञान प्राप्त करते थे। अद्वैतवाद का संगरोध, वर्ण और हिंदू धर्म के महत्व को वेद।
आदि शंकराचार्य जुबली 2021 शुभ मुहूर्त
- तारीख : 17 मई 2021
- शुभ मुहूर्त शुरू : 16 मई को सुबह 10 बजे
- शुभ मुहूर्त फाइनल : 11:34 पूर्वाह्नाई 17 मई
आदि गुरु शंकराचार्य से जुड़ी अजूबा बातें
गुरुशंकराचार्य का जन्म काल केरल में एक परिवार में था। 32 वर्ष तब भी हादसा हुआ। इस हेमायु में ही हिंदू धर्म को थे। हिंदु धर्म के सूत्र, इंडिएचओ 23 कनेक्टीविटी की इकाई, अविभाज्य ब्रह्म की कैपेप्शन बहुत ️ गहराई️ गहराई️️️️️️️️️️️️️️️️️ इनहोने हिंदू धर्म को के लिए अद्वैत वेदांत की स्थापना की। मूवी वेदों की निरूपण की है। वास्तविकवाद से वास्तविकवाद की ओर ले जाने का श्रेय भी दिया जाता है. लॉन्गों ने मीमांसा की आलोचना की है.
समाचार
शंकराचार्य ने भारत के बारे में गणना की। मूवी उत्तर में बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ, दक्षिण में श्रीमंगरी, पूर्व दिशा में निर्देश में जगथ पुरी में गोवर्धन और पश्चिम दिशा में शारदामठ की स्थापना की। इसकेअण्अलिन आदि शंकराचार्य ने डॉसनामी की स्थापना की। यह डॉ. गिरी, पर्वत, सागर, , भारती, सरस्वती, अरण्य,तीर्थ और कर्मशाला।
आचार्य के चार प्रमुख महिला शंकराचार्य की स्थिति में स्थिति कैसी होती है। ये एक महिला पद्मपाद (सानंदन), हस्तमालक, मंडन मिश्र, तोटक (तोटकाचार्य) यौ। आदि शंकराचार्य के गौडपादाचार्य और और पाण्डाचारी थे।
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