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जाट साम्राज्य का पतन कब हुआ | jaat saamraajy ka patan kab hua

जाटों का इतिहास, जाट साम्राज्य का पतन कब हुआ

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by Sonal Shukla

दोस्तों, यदि आप यह जानना चाहते हैं कि जाट साम्राज्य का उदय कब हुआ, तथा Jaat samrajya ka patan kab hua? तो इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से जानकारी देने वाले हैं। इसी के साथ हम आपको जाट समुदाय के बारे में और भी विशेष जानकारियां देंगे, जो शायद आपने इससे पहले कहीं भी नहीं सुनी होगी। तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं कि जाट साम्राज्य का उदय कब हुआ और इसका पतन कब हुआ।

जाट का मतलब क्या है? (jaat ka matalab kya hai?)

“जाट” शब्द का विभिन्न अर्थों में अलग-अलग मतलब निकाला गया है। एक तर्क के अनुसार जाट “युधिष्ठिर” के वंशज हैं, और युधिष्ठिर को पुरातन काल में “ज्येष्ठ” के नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब होता है – “बड़े भाई” या फिर “उम्र में बड़े व्यक्ति”। कालांतर में “ज्येष्ठ” शब्द “जेठ” में परिवर्तित हो गया, और “जेठ” शब्द “जाट” में परिवर्तित हो गया। एक तर्क के अनुसार जाट समुदाय की उत्पत्ति भगवान शिव की जटाओं से हुई है इस लिए यह अपने आप को “जाट” कहते है।

जाट कौन होते हैं? (jaat kaun hote hain?)

दोस्तों, जब भी आप जाट शब्द को सुनते हैं तो आपके मन में एक ऐसे मनुष्य का चित्रण आता है जो शारीरिक रूप में अत्यंत बलशाली होता है, और जिसकी कद-काठी सामान्य पुरुष की तुलना में अधिक बढ़ी और विकराल होती है।

साथ ही वह व्यक्ति युध्द कला में और लड़ाई में निपुण होता है, और उसे हरा पाना अत्यंत मुश्किल होता है। अब आप सोचते होंगे कि जाटों में इतनी शक्ति कैसे आ सकती है तो इस सवाल का जवाब, “जाट कौन होते हैं” इस सवाल के जवाब में छुपा है।

दोस्तों, जाट मूल रूप से भारत और पाकिस्तान में पाए जाते हैं। एकीकृत भारत में जाटों ने कई वर्षों तक भारत पर राज किया था, और जाटों के प्रथम महाराज “राजा सूरजमल”, जिन्हें “महाराज सूरजमल” के नाम से जाना जाता है, उनके राज्य में जाट साम्राज्य फला फूला था।

जाट क्या काम करते है? (jaat kya kaam karate hai?)

जाट एक प्रकार से खेती-बाड़ी करने वाले लोग होते हैं, और खेतीबाड़ी करने के कारण उन्हें किसान की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन खेती-बाड़ी करने की वजह से उन्हें शारीरिक बल की कमी नहीं होती, और आमतौर पर जाट समुदाय में खुराक भी अत्यंत बेहतरीन होती है। जिसके कारण उनके शरीर की बनावट सामान्य पुरुषों की तुलना में अधिक बलशाली और विकराल होती है।

इसीलिए आज के समय भारत में भारतीय सेना और अन्य अर्धसैनिक बलों के लिए जाटों का और राजपूतों का चुनाव सबसे पहले किया जाता है, क्योंकि जाट और राजपूत यह दो ऐसे समुदाय होते हैं जो अत्यंत बलशाली तथा सर्वाधिक निर्भीक होते हैं, और इन्हें आमतौर पर किसी भी तथ्य या परिणाम से भय नहीं लगता।

इसी कारण भारतीय सेना को विश्व की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक माना जाता है। अब आप जान चुके होंगे कि जाट कौन होते हैं। जाट एक प्रकार से किसान ही होते हैं जिनकी शारीरिक बल और कद-काठी के कारण उन्हें एक योद्धा की तरह भी देखा जा सकता है।

पहले जाट राजा कौन थे? (pahale jaat raja kaun the?)

जाटों के सर्वप्रथम राजा, जिन्हें पूरे भारत में सम्मान की नजर से देखा जाता है। उनका नाम “महाराज सूरजमल” है। महाराज सूरजमल जी अपनी बड़ी और विशाल मूछों की वजह से पहचाने जाते थे। साथ ही अपने अजेय होने के कारण तथा मुगलों के पसीने छुटा देने के कारण उन्हें सर्वाधिक बलशाली जाट योद्धा तथा जाट महाराज के तौर पर जाना जाता है।

महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को हुआ था तथा उनका देहांत 25 दिसंबर 1763 को हुआ था। उन्हें सुजान सिंह के नाम से भी जाना जाता था, आज के समय राजस्थान के भरतपुर जिले के राजा थे, और उनके राज में उन्होंने संपूर्ण राजपूताना पर हुकूमत की थी।

महाराजा सूरजमल के राज में आगरा, अलीगढ़, भरतपुर, धौलपुर, इटावा, गुड़गांव, हाथरस, मणिपुरी, मथुरा, मेवात, मेरठ, रेवाड़ी, रोहतक, इन सभी क्षेत्रों तक महाराजा सूरजमल का राज हुआ करता था।

महाराजा सूरजमल के राज में जाटों का साम्राज्य अपने चरम पर पहुंच गया था। जाट अपने आप को आमतौर पर “युधिष्ठिर” के वंशज मानते हैं जो पांचों पांडवों के बड़े भाई थे, हालांकि तथ्यात्मक रूप से “कर्ण” पांडवों के सबसे बड़े भाई थे ।

जाट साम्राज्य का उदय कब हुआ? (Jaat samrajya ka uday kab hua)

जाट साम्राज्य का उदय 17वीं सदी के अंत और 18वीं सदी के शुरुआत में माना जाता है, क्योंकि उस समय तक जाट साम्राज्य अत्यंत मजबूत हो चुका था, और अपनी मजबूती तथा अपनी शक्ति के बल पर उन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ हथियार उठा लिये थे और मुगल साम्राज्य की नींव हिला दी थी।

महाराजा सूरजमल के काल के समकक्ष ही 30 मार्च 1699 को खालसा पंथ की शुरुआत हुई थी और उस दौरान जाट समुदाय भर-भरकर सिख समुदाय में परिवर्तित हो रहा था, या कहें हिन्दू जाट समुदाय, सिख धर्म में अपने आप को परिवर्तित कर रहा था।

जाट साम्राज्य का पतन कब हुआ? (Jaat samrajya ka patan kab hua)

जाट साम्राज्य का अधिकारिक पतन कभी भी नहीं हुआ, लेकिन भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के समापन के साथ ही सभी प्रकार के राजशाही साम्राज्य को लोकतांत्रिक भारत में समाप्त कर दिया गया था।

इस तरह हम यह कह सकते हैं कि जाट सम्राज्य का पतन लोकतांत्रिक भारत के निर्माण के दौरान हुआ था, लेकिन हमें कही भी ऐसे तथ्यात्मक सबूत नहीं मिलते हैं जो यह सत्यापित कर सके कि लोकतांत्रिक भारत के निर्माण से पहले जाट समाज का दमन हो चुका था।

वर्तमान भारत में जाट कहां पाए जाते हैं?

वर्तमान भारत में जाट उत्तर-पश्चिम भारत तथा दक्षिण -पश्चिम भारत में बहुत बड़ी तादाद में पाए जाते हैं। वैसे तो जाट पूरे भारत में रहते है लेकिन यहां पर भारत के कुल जाट समुदाय का लगभग 95% हिस्सा रहता है भारत में आज के समय तकरीबन 10 करोड़ जाट रहते हैं।

जाट किस धर्म के होते हैं?

जाट मूल रूप से भारत में हिंदू धर्म के ही होते हैं, और हिंदू धर्म से जाटों ने विभिन्न प्रकार के धर्मों में परिवर्तन किया था, जैसे कि- इस्लाम, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, इत्यादि।

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निष्कर्ष

आज के इस लेख हमने आपको बताया जाट कौन होते हैं, जाट साम्राज्य का उदय कब हुआ एवं, Jat samrajya ka patan kab hua? हम आशा करते हैं कि आज के लेख में आपको जाट समुदाय के बारे में विभिन्न प्रकार की बातें जानने को मिली होंगी। यदि आपको इस लेख से संबंधित कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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