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Rupak Alankar Ke Udaharan

रूपक अलंकार – परिभाषा, भेद और उदाहरण – Rupak Alankar Ke Udaharan

by Pritam Yadav

Rupak Alankar Ke Udaharan :- यदि आप लोगों ने अलंकार के विषय में पड़ा होगा तो आपको यह जरूर पता होगा, कि रूपक अलंकार क्या होता है।

यदि आपने नहीं पढ़ा है, तो कोई बात नहीं है, आज के इस लेख में हम आपको अलंकार के विषय में पूरी जानकारी और उसके साथ-साथ रूपक अलंकार के उदाहरण के विषय में भी विस्तार से चर्चा करेंगे।

रूपक अलंकार के विषय में आज के इस लेख में आपको सभी जानकारियां जानने को मिलेंगे और इसके साथ-साथ आपको Rupak alankar ke udaharan भी देखने को मिलेंगे।

यदि आप सभी लोग रूपक अलंकार के विषय में सारी जानकारियां जानना चाहते हैं, तो आज का हमारा यह लेख आप सभी लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है। तो चलिए शुरू करते हैं, अपना यहां लेकर जानते हैं, रूपक अलंकार के विषय में।


रूपक अलंकार क्या है ?

जब उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके एक ही शब्द में या फिर एक ही वाक्य में कर दिया जाता है, तो उस शब्द / वाक्य को रूपक अलंकार कहते हैं।

यदि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब उपमेय और उपमान में किसी भी प्रकार का कोई अंतर न दिखे तो आप समझ जाइए, कि यह वाक्य रूपक अलंकार का है।

वाक्य के समान और गुणवत्ता के कारण जब उपमेय को ही उपमान कह दिया जाए अर्थात दोनों शब्दों में किसी भी प्रकार के कोई भेद स्पष्ट ना दिखाई दे, तो उस वाक्य को रूपक अलंकार कहते हैं।


रूपक अलंकार के उदाहरण – Rupak Alankar Ke Udaharan

नीचे हम आपको ऊपर हमने Rupak Alankar Ke Udaharan के बारे में बताने वाले है।

1. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो। 

उपर्युक्त उदाहरण में राम रतन और धन को उपमेय और उपमान विभाजित किया गया है, जिसमें ‘ राम रतन ’ – उपमेय पर ‘ धन ’ – उपमान का आरोप है। दोनों में अभिन्नता है। इस वाक्य में उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी गई है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

2. बीती विभावरी जागरी!

अम्बर पनघट में डुबो रही तारा घाट उषा नगरी।

उपर्युक्त उदाहरण में देखा जा सकता है, कि यहां उषा में नागरी का, अम्बर में पनघट का और तारा में घाट का निषेध रहित आरोप हुआ है। उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

3. शशिमुख पर घूँघट डाले अंचल में दीप छिपाये।

उपर्युक्त उदाहरण में आप देख सकते हैं, कि मुख( उपमेय ) पर शशि यानी चन्द्रमा ( उपमान ) का आरोप है, अतः यह रूपक अलंकार का ही एक उदहारण है।

4. विषयवारि मनमीन भिन्न नहिं होत कबहुँ पल एक।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं विषय ( उपमेय ) पर वारि ( उपमान ) एवं मन ( उपमेय ) पर मीन ( उपमान ) का आरोप है। यहां उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

5. मनसागर, मनसा लहरि, बूड़ेबहे अनेक।

उपर्युक्त उदाहरण में मन(उपमेय) पर सागर(उपमान) का एवं मनसा यानी इच्छा(उपमेय) पर लहर(उपमान) का आरोप है। यहां उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

6. भजमन चरण कँवल अविनाशी।

ईश्वर के चरणों (उपमेय) पर कँवल (कमल) उपमान का आरोप। अतः यह रूपक अलंकार का उदाहरण है।

7. सिंधुबिहंग तरंगपंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।

सिंधु ( उपमेय ) पर विहंग ( उपमान ) का तथा तरंग ( उपमेय ) पर पंख ( उपमान ) का आरोप। अतः यह रूपक अलंकार है।

8. सिर झुका तूने नीयति की मान ली यह बात। 

स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदयजलजात।।

उपर्युक्त उदाहरण में आप देख सकते हैं, हृदय जलजात में हृदय(उपमेय) पर जलजात यानी कमल(उपमान) का अभेद आरोप किया गया है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

9. वन शारदी चन्द्रिकाचादर ओढ़े। 

उपर्युक्त उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं, चाँद की रोशनी को चादर के समान ना बताकर चादर ही बता दिया गया है। इस वाक्य में उपमेय – ‘चन्द्रिका’ है एवं उपमान – ‘चादर’ है। यहां आप देख सकते हैं, कि उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती है तब वहां रूपक अलंकार होता है।

10. गोपी पदपंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे।

उपर्युक्त उदाहरण में पैरों को ही कमल बताया गया है। ‘पैरों’ – उपमेय पर ‘कमल’ – उपमान का आरोप है। उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दिखाई जा रही है। यहां आप देख सकते हैं, कि उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

11. बीती विभावरी जागरी ! अम्बर पनघट में डुबो रही तारा घाट उषा नगरी।

उपर्युक्त उदाहरण में देख सकते हैं यहां उषा में नागरी का, अम्बर में पनघट का और तारा में घाट का निषेध रहित आरोप हुआ है। यहां आप देख सकते हैं कि उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

12. प्रभात यौवन है वक्ष सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा। 

उपर्युक्त उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं, कि यहाँ यौवन में प्रभात का वक्ष में सर का निषेध रहित आरोप हुआ है। यहां हम देख सकते हैं की उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही है और जब उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जाती ही तब वहां रूपक अलंकार होता है।

13. उदित उदयगिरीमंच पर, रघुवर बालपतंग।

विकसे संत सरोज सब हर्षे लोचन भंग।।

उपर्युक्त पंक्तियों में उदयगिरी पर ‘मंच’ का, रघुवर पर ‘बाल-पतंग'(सूर्य) का, संतों पर ‘सरोज’ का एवं लोचनों पर भ्रंग(भोरों) का अभेद आरोप है। अतः यह उदाहरण रूपक अलंकार के अंतर्गत आएगा।


FAQ’S :-

Q1. हिंदी के अलंकार कितने है ?

Ans :- हिंदी मे मुख्य रूप से सात अलंकार होते है । अनुप्रास, उपमा, यमक, रूपक, श्लेष, 
अतिशयोक्ति और उत्प्रेरित अलंकार।

Q2. रूपक अलंकार की परिभाषा ? OR Rupak Alankar Ke Udaharan

Ans :- जब उपमेय में उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। 
इसमें उपमेय को उपमान के समान बताया जाता है।

Q3. रूपक अलंकार के भेद क्या है ?

Ans :- रूपक के दस भेद ये हैं - नाटक प्रकरण, भाण, व्यायोग, समवकार, डिम, ईहामृग, 
अंक, वीथी और प्रहसन।

Q4. रूपक अलंकार का आशय क्या है ?

Ans :- लोगों को रुचिकर लगने वाला ऐसा कथात्मक लेख है, जो हाल के ही समाचारों से जुड़ा 
नहीं होता बल्कि विशेष लोग, स्थान, या घटना पर केन्द्रित होता है।

Q5. रूपक किससे बनता है ?

Ans :- एक रूपक अलंकार जिसके विभिन्न पात्र वास्तविक जीवन के आंकड़ों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

निष्कर्ष :-

हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख ( Rupak alankar ke udaharan ) अवश्य ही पसंद आया होगा और यदि आपको हमारे द्वारा लिखा गया लेख पसंद आया हो,

तो कृपया अपने दोस्तों के साथ इसे अवश्य शेयर करें और यदि आपके मन में इस लेख Rupak Alankar Ke Udaharan को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल है, फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।


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