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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को पुण्यकार माना जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। ऐसे में हर महीने दो और साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। अप्रैल 2021 का पहला प्रदोष 09 अप्रैल दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 09 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और श्रीगणेश की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन शिव परिवार की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
प्रदोष व्रत के दिन बन रहे हैं ये शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:19 ए। एम।, 10 अप्रैल से 05:05 ए एम, 10 अप्रैल तक।
प्रात: सन्ध्या- 04:42 ए एम, 10 अप्रैल से 05:50 ए एम, 10 अप्रैल तक।
अभिजित मुहूर्त – 11:45 ए एम से 12:36 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:17 पी एम से 06:41 पी एम तक।
सायाह्न सन्ध्या- 06:29 पी एम से 07:37 पी एम तक।
अमृत काल- 10:10 पी एम से 11:53 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:47 पी एम से 12:32 ए एम, 10 अप्रैल तक।
अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत 9 तारीख को, इन व्रत नियमों का पालन करने से प्रसन्न होंगे महादेव
प्रदोष व्रत के दिन बन रहे ये अशुभ मुहूर्त
राहुकाल- 10:36 ए एम से 12:10 पी एम तक।
यमगंड- 03:20 पी एम से 04:55 पी एम तक।
गुलिक काल – 07:26 ए एम से 09:01 ए एम तक।
दुर्मुहूर्त- 08:23 ए एम से 09:13 ए एम तक।
वर्ज्य- 11:51 ए एम से 01:34 पी एम तक और उसके बाद 12:36 पी एम से 01:26 पी एम तक।
भद्रा- 04:27 ए एम, 10 अप्रैल से 05:50 ए एम, 10 अप्रैल तक।
पंचक- पूरा दिन।
प्रदोष व्रत पूजा विधि-
1. प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
2. नाहकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
3. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है।
4. गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।
5. प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
6. इस दिन सूर्य्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
7. प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए।
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