Home » माइटोकॉण्ड्रिया की खोज किसने की ? | Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki
mitochondria-ki-khoj-kisne-ki

माइटोकॉण्ड्रिया की खोज किसने की ? | Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki

by Pritam Yadav

Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki :-  हमारा शरीर छोटे-छोटे कोशिकाओं से मिलकर बना हुआ है। किसी भी जीव का शरीर का आधार कोशिकाओं की जटिल संरचना के वजह से होता है।

कोशिका का महत्वपूर्ण Part माइटोकॉण्ड्रिया होता है। आज हम माइटोकॉण्ड्रिया की खोज किसने की के बारे में बताएँगे तथा हम इसके अंतर्गत आपको माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना, कार्य आदि जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आपका ध्यान केंद्रित करेंगे।

जैसा कि हम सब जानते हैं, कोशिका के अंदर माइटोकॉण्ड्रिया पाई जाती है। माइटोकॉण्ड्रिया के बिना कोशिका को किसी भी तरह की ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाएँगी तथा केंद्र को गुणसूत्र बनाने के लिए माइटोकॉण्ड्रिया की आवश्यकता होती है।

कोशिका के सारे अंग एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। आइए जानते हैं।


माइटोकॉण्ड्रिया की खोज किसने और कब की है ? | Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki

माइटोकॉण्ड्रिया की खोज अल्टमैन ने 1886 में की थी। माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका संरचना में एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। इसका कार्य कोशिका को ऊर्जा प्रदान करना है।

माइटोकॉण्ड्रिया का हिंदी में नाम सूत्र कणिका है। माइटोकॉण्ड्रिया एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जो कि सभी जीव जंतु तथा पेड़ पौधों की रचनाओं में अंग बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


माइटोकॉण्ड्रिया का कार्य क्या है ?

कोशिका में सभी अंगो का अलग-अलग कार्य होता है। उनमें से माइटोकॉण्ड्रिया का कार्य अलग है, जो इस प्रकार है:-

  1. इसका मुख्य कार्य कोशिका को ऊर्जा प्रदान करना है, ताकि कोशिका अपने सभी कार्य अच्छे से कर सके।
  2. इसके माध्यम से उर्जा उत्पन्न होती है, जो कि कोशिका को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. यह कैलशियम की सांद्रता को भी नियंत्रित करती है।
  4. इसका मुख्य कार्य यह भी है, कि कोशिका चयापचय Process में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  5. इसके माध्यम से Citric Acid की Cycle चलती रहती है, जिससे कोशिका का PH सामान्य बना रहता है।

माइटोकॉण्ड्रिया किस प्रक्रिया द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करती है ?

माइटोकॉण्ड्रिया को उर्जा उत्पन्न करने के लिए Cellular Respiration ( कोशिकीय श्वसन ) की प्रक्रिया द्वारा भोजन में से Protein , Fat And Vitamin की जरूरत होती है।

यह भोजन के अणु को कार्बोहाइड्रेट के रूप में तोड़ती है तथा इसके बाद ATP का निर्माण होता है। ATP का पूरा नाम Adenosine Triphosphate है।

यह एक रासायनिक प्रक्रिया है, ATP  निर्माण करने के बाद यह ऑक्सीजन के साथ मिला देती है।


माइटोकॉण्ड्रिया का आकार कितना होता है ?

इसका आकार लगभग 0.5 से लेकर 10 माइक्रोमीटर तक होता है।


माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना

जैसे कोशिका का मुख्य अंग माइटोकॉण्ड्रिया है, इसी तरह से माइटोकॉण्ड्रिया के भी अंग होते हैं, जो इस प्रकार है:-

  1. Outer membrane
  2. Inner membrane
  3. Cristae
  4. Matrix

1. बाहरी झिल्ली ( Outer Membrane ) :- यह माइटोकॉण्ड्रिया को सुरक्षा प्रदान करती है। यह बहुत ही कोमल तथा नाज़ुक होती है। इसके माध्यम से एक आकार मिल जाता है। यह आकार वृत्ताकार या गोली के आकार का होता है। कुछ का आकार लंबा भी होता है।

2. आंतरिक झिल्ली ( Inner Membrane ) :- यह माइटोकॉण्ड्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। जब बाहरी झिल्ली की परत जुड़ जाती है, तो इसके बाद एक आंतरिक झिल्ली उत्पन्न हो जाती है, जो कि माइटोकॉण्ड्रिया के अंदर पाए जाने वाले फिलामेंट को सही आकार तथा मोड़ होने पर ठीक करने का कार्य करती है। इससे फिलामेंट को सिकुड़ने तथा कार्य करने में मदद मिलती है।

3. Cristae :- आंतरिक झिल्ली में मौजूद मोड को क्रिस्टी कहा जाता है। यह आंतरिक झिल्ली के अंदर स्थित होती है, यह माइटोकॉण्ड्रिया का क्षेत्रफल बढ़ाने में मदद करती है।

4. मैट्रिक्स ( Matrix ) :- आंतरिक झिल्ली के अंदर मौजूद स्थान को मैट्रिक्स कहा जाता है। ज्यादातर प्रोटीन इसी स्थान में होता है तथा मैट्रिक्स राइबोसोम तथा DNA में भी पाया जाता है।


माइटोकॉण्ड्रिया के रोचक तथ्य | Interesting Fact About Mitochondria

ऊपर हमने आपको Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki के बारे में बताया, अब हम आपको माइटोकॉण्ड्रिया के रोचक तथ्य के बारे में बताते हैं।

  • जब इसे कोशिका के अंदर आकार बदलने की जरूरत पड़ती है, तो यह अपना आकार बदल सकता है। यहां तक कि यह कोशिका के अंदर किसी भी स्थान में जा सकता है परंतु यह केंद्रक को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाता है।
  • जब कोशिका को ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो यह उसे ऊर्जा प्रदान करता है।
  • यह जीवाणु तथा नीली हरी शैवालों में नहीं पाया जाता है, क्योंकि इनकी संरचना सरल होती है तथा इनमें माइटोकॉण्ड्रिया के विकास के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं होता है।
  • इसके के अंदर अलग-अलग प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं, इसमें 100 से भी ज्यादा प्रोटीन निर्माण करने की शक्ति होती है, जो कोशिका के लिए कई तरह के कार्य करते हैं।
  • यह ATP इसके रूप में उर्जा उत्पन्न करके कोशिका को प्रदान करता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है।
  • यह कोशिका के अंदर एक Battery की तरह कार्य करता है, हमारे शरीर का 90% ऊर्जा का निर्माण यहीं से होता है।
  • दिल की माँसपेशियों का 40% हिस्सा माइटोकॉण्ड्रिया से निर्मित होता है तथा लिवर के प्रत्येक कोशिका का 25% हिस्सा इसी से बना होता है।
  • यह इतना छोटा होता है कि इसे केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के माध्यम से ही देखा जा सकता है।
  • इसका दूसरा नाम सूत्र कणिका है।
  • यह एक कोशिका में 1000 से अधिक संख्या में पाई जाती है।

FAQ’s About Mitochondria
  • माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस क्यों कहा जाता है ?

जैसा कि हमने उपरोक्त बिंदुओं में बताया, कि इसका मुख्य कार्य ऊर्जा उत्पन्न करना है। यदि इसे सरल भाषा में कहा जाए, तो यह कोशिका के लिए उत्साह उत्पन्न करने का कार्य करती है, इसीलिए माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस कहा जाता है।

  • माइटोकॉण्ड्रिया में कौन सा प्रोटीन पाया जाता है ?

इसमें माइटोकॉण्ड्रिया प्रोटीन पाया जाता है, जो लगभग 2/3 भाग होता है।

  • एक कोशिका में माइटोकॉण्ड्रिया की संख्या कितनी होती है ?

एक कोशिका में माइटोकॉण्ड्रिया की संख्या लगभग 1000 से 1600 तक हो सकती है।

  • माइटोकॉण्ड्रिया किस में नहीं पाई जाती है ?

यह जीवाणु तथा नील हरित शैवालों में नहीं पाई जाती है, बाकी इन दोनों को छोड़ दिया जाए तो सभी जीवों में सूत्र कणिका पाई जाती है।

  • माइटोकॉण्ड्रिया नाम किसने दिया ?

इसकी खोज अल्टमैन ने की थी, उस समय इन्होंने बायो ब्लास्टना दिया था। इसके बाद  1898 में जर्मन के Microbiologist कार्ल बेन्डा इसका नाम माइटोकॉण्ड्रिया रखा।

  • माइटोकॉण्ड्रिया में कौन सा एंजाइम पाया जाता है ?

इसमें साइटोक्रोम सी आँक्सीडेज एंजाइम पाया जाता है।


Conclusion :-

आशा करता हूं, मेरे द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट होंगे। इस लेख का उद्देश्य Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki OR माइटोकॉण्ड्रिया से जुड़ी  रोचक जानकारी प्रदान करना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग माइटोकॉण्ड्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करके अपने ज्ञान को बढ़ा सकें।

Read Also :- 

Related Posts

Leave a Comment