Home » नीम का वैज्ञानिक नाम क्या है? महत्व, फायदे और नुकसान
Neem ka Vaigyanik Naam kya hai?

नीम का वैज्ञानिक नाम क्या है? महत्व, फायदे और नुकसान

Neem ka Vaigyanik Naam kya hai? | neem ke fayde aur nuksan in hindi

by Sonal Shukla

दोस्तों, हमारे भारत में नीम के पेड़ का महत्व सर्वाधिक माना जाता है। भारत में नीम का पेड़ और पीपल का पेड़ पूजनीय है, और इसके हजारों फायदे भी हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि नीम के पेड़ का इतिहास क्या है? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं। क्योंकि आज हम आपको बताएंगे कि नीम के पेड़ का इतिहास क्या है, और Neem ka Vaigyanik Naam kya hai? नीम की खोज किसने की? नीम के फायदे क्या है तो चलिए शुरू करते हैं

नीम के वृक्ष का इतिहास

भारत में नीम के वृक्ष का इतिहास काफी पुराना है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम जी का जन्म हुआ था, उस समय भी एक महान नीम का पेड़ उस समय भी श्री राम चरित का हिस्सा था। हमारे पुराणों में नीम के वृक्ष को एक महान वृक्ष माना गया है, और ऐसा कहा जाता है कि जहां भी नीम का पेड़ होता है वहां दूर-दूर तक बीमारियां नहीं आती।

हालांकि इसका उद्देश्य और संदर्भ इस प्रकार है कि जिन भी लोगों को नीम के वृक्ष का उपयोग करना आता है, और नीम के वृक्ष की औषधि का निर्धारण करना आता है। उन्हें कभी भी बीमारी अपने चंगुल में नहीं फंसा सकती है।

इसी कारण तकरीबन 15,000 वर्षों से भी अधिक समय से नीम का वृक्ष मानव जाति और अन्य जनजातियों को रोग मुक्त करने में अपनी भूमिका निभाता रहा है। नीम के वृक्ष को अमृत के समान गुणकारी माना गया है।

नीम का वैज्ञानिक नाम (Neem ka Vaigyanik Naam kya hai?)

नीम का वैज्ञानिक नाम Azadirachta Indica है। यह नाम इसे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ्रीका महाद्वीप के अधिकांश देशों में इसके गुणों के कारण मिला है।

नीम के वृक्ष के लिए जलवायु

नीम का वैज्ञानिक नाम (Neem ka Vaigyanik Naam kya hai?)

दोस्तों नीम के वृक्ष को Azadirachta Indica के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह नाम आमतौर पर वैज्ञानिक दृष्टि से लिया जाने वाला नाम है। एशिया में नीम का वृक्ष बहुतायत में पाया जा सकता है। यह सामान्यतया उष्णकटिबंधीय और अर्ध-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आसानी से मिल सकता है।

यहां तक कि नीम के पेड़ ईरान के द्वीपों पर भी उठते हुए नजर आते हैं। ईरान के क्षेत्र में जहां तेल बहुतायत में पाया जाता है, उस के तेल में नीम के तेल का भी अंश देखने को मिलता है। आज के समय में नीम का तेल काफी गुणकारी माना जाता है, और नीम के फलों के द्वारा तथा नीम के बीज के द्वारा नीम का तेल निकाला जाता है।

यह वृक्ष 400 से 1200 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा के साथ भी बहुत ही अच्छी तरह से पनपता है। नीम आमतौर पर दोमट मिट्टी में और रेतीली मिट्टी में आसानी से पनपता है, वैसे तो यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में उग जाता है। नीम के लिए उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र उत्तम माना जाता है।

नीम के लिए 21 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान काफी सर्वोत्तम भाग में माना जाता है। नीम का वृक्ष आमतौर पर 50 डिग्री से लेकर 70 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान भी सहन कर सकता है।

नीम के पेड़ का महत्व

नीम के पेड़ का महत्व काफी अजीत माना गया है ऐसा माना जाता है कि जहां भी नीम का पेड़ होता है वहां पर बीमारियां नहीं आती। क्योंकि नींद के हर अंश में बीमारियों को भगाने की क्षमता है। नीम के द्वारा कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का भी जड़ मूल से नाश किया जा सकता है।

ऐसा भी कहा जाता है कि नीम के पेड़ पर कभी भी बड़े कीड़े नहीं लगते। हालांकि कई जगह नीम का उपयोग सब्जियों के रूप में भी किया जाता है। लेकिन परंपरागत औषधियों के तौर पर इसका उपयोग सर्वाधिक किया जाता है। जब कोविड-19 की बीमारी अपनी जड़ पकड़ रही थी उस समय नीम के वृक्ष के कारण कोविड-19 प्रभावशीलता देखी गई थी।

नीम के पेड़ के फायदे

नीम के पेड़ के कई फायदे हैं जो कि आज के समय मानव समाज के शारीरिक उद्धार के लिए उत्तरदाई हो सकते हैं। नीम का पेड़ नियमित तौर पर मानव को स्वस्थ बनाए रखने में अपना योगदान देता है। हमारे द्वारा बताए गए नीम के फायदे जानकर आप समझ पाएंगे कि नीम का वृक्ष कितना महत्वपूर्ण है तो चलिए शुरू करते हैं-

  • नीम का वृक्ष बालों की समस्याओं के लिए लाभकारी है। नीम का उपयोग झड़ते बालों की समस्याओं को रोकने के लिए, सफेद बालों की समस्या को रोकने के लिए, कमजोर बालों की समस्या को रोकने के लिए किया जाता है।
  • इसी के साथ यदि बालों में जुएं पड़ जाए तो भीनीम के पानी से बाल धोने सेजुओं की समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • नीम के उपयोग से सरदर्द दूर भाग जाता है।
  • यदि आपको नकसीर आ चुकी है तो भी नीम के पत्तों का उपयोग करके आप नकसीर रोक सकते हैं।
  • यदि आपके कान बहने की बीमारी है, तो नीम के रस को तकलीफ बंद पांच बूंद कान में डालने से और ऐसा लगातार 10 दिन करने से कान का बहना सदा कीजिए रुक सकता है।
  • नीम का दातुन करने से दांत के किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है।
  • ट्यूबरकुलोसिस की बीमारी में भी नीम के वृक्ष का महत्व होता है। ट्यूबरक्लोसिस की बीमारी नहीं हमसे दूर की जा सकती है।
  • दमा रोग में भी नीम का उपयोग किया जाता है।
  • एसिडिटी दूर करने के लिए नीम का उपयोग किया जाता है।
  • यदि आपका जी मचल रहा है और उल्टी आने की संभावना है तो आपको नीम का सेवन करना चाहिए।
  • पीलिया रोग में भी तथा बवासीर रोग में नीम का उपयोग सर्वथा उचित रहता है।
  • डायबिटीज की बीमारी में नीम का उपयोग रामबाण है।
  • पथरी की बीमारी में नीम का उपयोग सर्वथा उचित रहता है।
  • गुप्तांगों की बीमारी तथा गुप्तांगों के सूजन में और गुप्त अंगो के अन्य लोग मिटाने में नीम के पेड़ का उपयोग किया जाता है।
  • पीरियड्स के होने वाले दर्द में और अन्य पीरियड संबंधी बीमारियों में नीम का उपयोग किया जाता है।
  • प्रदर रोग में भी नीम का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा त्वचा के संक्रमण में, व विष के प्रभाव को दूर करने में नीम का उपयोग किया जाता है। इन सबके अलावा भी नीम का उपयोग अन्य हजारों बीमारियों और विकारों को दूर करने में किया जाता है जिनका नाम भी शायद आज हम इस लेख में नहीं ले पाएंगे।

नीम के नुकसान

केवल नीम का वृक्ष ही एकमात्र ऐसा पेड़ है जिसका कोई नुकसान नहीं है।

निष्कर्ष

आज के लेख में हमने आपको बताया कि किस प्रकार नीम का पेड़ हमारे लिए उपयोगी हो सकता है, और Neem ka Vaigyanik Naam kya hai.

हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक रहा होगा। यदि आपको इस लेख से संबंधित कोई सवाल पूछना हो तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment