चैत्र नवरात्रि का आज 18 अप्रैल 2021 दिन रविवार को छठवां दिन है। यह दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा मां कात्यायनी विवाह में आने वाली परेशानियों को भी दूर करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर का वध किया था। असुर महिषासुर का वध करने के कारण उन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है।
मां कात्यायनी का स्वरूप-
मां कात्यायनी आकर्षक स्वरूप की हैं। मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। माँ की चार भुजाएँ हैं। मां की सवारी सिंह यानी शेर है। माँ के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। माँ के दूसरे हाथ हाथ वर और अभयमुद्रा में हैं।
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ये मुहूर्त में ना करें मां कात्यायनी की पूजा-
राहुकाल- 04:57 पी एम से 06:34 पी एम तक।
यमगंड- 12:08 पी एम से 01:45 पी एम तक।
गुलिक काल- 03:21 पी एम से 04:57 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 04:51 पी एम से 05:42 पी एम तक।
वर्ज्य- 11:50 ए एम से 01:35 पी एम तक।
माँ कात्यायनी का प्रिय पुष्प और शुभ रंग-
आज नवरात्रि के छठवें दिन कात्यायनी को लाल रंग का पुष्प विशेष रूप से लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में मां की पूजा के दौरान उन्हें गुलाब का पुष्प अर्पित करें।
मां कात्यायनी का भोग-
माता कात्यायनी को शहद सबसे ज्यादा पसंद है।
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मां कात्यायनी की आरती-
जय-जय अम्बे जय कात्यायन
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में आपकी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह त्योहार होते रहते हैं
हर मंदिर में भगत कहते हैं
कत्यानी गार्ड काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाला
बृहस्पतिवार को पूजा करते हैं
ध्यान कात्यायनी का पहुँचिए
हर संकट को दूर करेगा
भंडाफोड़ बहुत होगा
जो भी माँ को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।।
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