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इस अशुभ योग में जन्म लेने के बावजूद मिलता है रूपवान और भाग्यवान होने का मौका, पढ़ें

इस अशुभ योग में जन्म लेने के बावजूद मिलता है रूपवान और भाग्यवान होने का मौका, पढ़ें

by Sneha Shukla

विश्वकुंभ योग क्या है: ज्योतिष के कहते हैं, कुल 27 प्रकार के योग होते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के बीच के दूरी की जो विशेष स्थिति बनती है। इन विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। इन्हीं दूरियों के आधार पर केवल 27 योग बनते हैं। ये 27 योग नीचे दिए गए हैं। हिंदू मान्यता है कि ये से कुछ योग अशुभ होते हैं तो कुछ योग का बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ता है। चुभ योग में किया गया शिवाय फल दायी होता है जबकि अशुभ योग में किया गया कार्य अशुभ फलदायी होता है। अर्थात इस योग में किए गए कार्य अशुभ फल देते हैं।

ज्योतिष में है विवरण २। योग

  1. विस्कुख
  2. प्रीति
  3. आयुष्मान
  4. भाग्य
  5. शोभन
  6. अतिगंड
  7. सुकर्मा
  8. धौंस
  9. शूल
  10. गण्ड
  11. वृद्धि
  12. ध्रुव
  13. व्याघात
  14. बाधा डालना
  15. वज्र
  16. शीलता
  17. व्यतिपात
  18. वरियान
  19. परिधि
  20. शिव
  21. अनुक्रम
  22. साधुता
  23. शुभ
  24. योग्य
  25. ब्रह्म
  26. इन्द्र
  27. वैधता

विषुम्ख योग

ये योग में सबसे पहला योग विषकुम्भ योग है। हिंदू धर्म में विषकुंभ योग को अशुभ योग माना गया है। इस योग में किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित है। इस योग को विष के सामान माना गया है। इसी प्रकार इस योग का नाम विषकुंभ योग है। ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार, इस योग में किया गया कोई कार्य सफल नहीं होता है।

इस योग में है जन्म ले रहा है वाला व्यक्ति होता है है बहुत भाग्यशाली है

विषकुंभ योग को यद्यपि अशुभ योग माना गया है। इसके बावजूद इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति बहुत ही भाग्यवान होता है। मान्यता है कि इस योग में जन्म लेने वाले लोग हर प्रकार के सांसारिक सुख भोगते हैं। ये लोग बहुत ही रूपवान होते हैं। भाग्यशाली होने के साथ-साथ ये विभिन्न अलंकारों से सुसज्जित होते हैं।

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