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उम्मीद की किरण बना मुंबई का एक वॉर्ड, कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या पहली बार से कम

उम्मीद की किरण बना मुंबई का एक वॉर्ड, कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या पहली बार से कम

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> मुंबई : भारत मे कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद चारों ओर हाहकार मचा हुआ है। इस बार पहले की तुलना में ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं, एक तरफ केंद्र सरकार, सभी राज्यों की सरकारें, और लोकल म्युनिसिपल बॉडी कोरोना की दूसरी लहर से लड़ाई में जुटी हैं। वहीं मुंबई के शिवड़ी इलाके का वार्ड नंबर 206 इस लड़ाई में पूरे देश के लिए एक मिसल बन कर सामने आया है।
लोकल नगरसेवक सचिन पडवाल ने एबीपी को बताया कि इस वार्ड की जनसंख्या लगभग 55,000 60,000 के आसपास है। बीच में है। इनमें से भी ज्यादातर लोग झोपड़ियों में रहते हैं। इस पूरे वार्ड के लिए तीन स्वास्थ्य पोस्ट बनाई गई हैं ताकि हर किसी के सेहत का खयाल रखा जा सके।

इन स्वास्थ्य पोस्ट या वॉर रूम में बीएमसी की पब्लिक हेल्प नर्स के रूप में काम करनेवाली पूनम सादरकर ने की है। बताया कि जिस शभाष्स में अधिक लक्षण दिखाई देते हैं, उसके पास के कोरोना केंद्र या अस्पताल में एडमिट किया जाता है।

लगातार लोगों के स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए अभी तक 19 मेडिकल कैंप भी लगाए गए हैं। कई लोग जो सीनियर सिटीजन हैं, जिनके न तो कोई रेजिस्ट्रेशन हुआ था, ना कोई उनके पास आ रहा था, ऐसे 900 लोगों का पंजीकरण करके कोरोनाईकरण किया गया था। इस पूरे वार्ड में 762 सार्वजनिक टॉयलेट शीट्स हैं जिनको दिन में दो से चार बार सेनेटाइज किया जाता है।

पिछले साल जब कोरोना आया था तब हर रोज इस वार्ड में 50 से ज्यादा लोग गंभीर हो रहे थे जबकि इस साल यहां से ज्यादा से ज्यादा हर रोज 10 ही मामले सामने आ रहे हैं जिनके कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग भी माइक्रो मैनेजमेंट सिस्टम की है की जाती है।
एबीपी न्यूज चैनल की टीम वार्ड नंबर 206 के गणेश बाग इलाके का जायजा लिया जहां पिछले साल सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। पडवाल ने बताया कि इस वार्ड में कोरोना के कम मामले आने को लेकर उसने माइक्रो मैनेजमेंट के पूरे सिस्टम का इस्तेमाल किया और कहा कि इस पूरे इलाके में करीब 80 से 90 पब्लिक टॉयलेट हैं जिनमें 700 से ज्यादा सीट्स हैं। सभी टॉयलेट को दिन में 4 बार सेनेटाइज किया जाता है। अगर इस इलाके में कोई शख़्स कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो उस टॉयलेट की एक सीट को लेकर उस परिवार के लिए रेवारा कर दिया जाता है। उसमें पैच लगा दिया जाता है और जिसका चाभी उस कोरोनाध्य परिवार के पास होता है।

यह करने का मकसद इतना है कि सार्वजनिक टॉयलेट्स हाथ धोने के नल और टॉयलेट के गेट की कुंडी से सबसे ज्यादा कोरोना। फैलता है टॉयलेट रिज़र्वेशन से इस पर रोक लग जाती है। और यह दूसरों को नहीं लगता है।

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