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करीब एक चौथाई ब्रिटिश हेल्थ केयर वर्कर्स को कोविड-19 वैक्सीन पर है संदेह, रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

करीब एक चौथाई ब्रिटिश हेल्थ केयर वर्कर्स को कोविड-19 वैक्सीन पर है संदेह, रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

by Sneha Shukla

एक चौथाई ब्रिटिश हेल्थ कैर वर्कर्स को विभाजित -19 वैक्सीन का डोज नहीं लगवाना चाहते हैं। वास्तव में, को विभाजित -19 वैक्सीन को लेकर उनके मन में संदेह है। इसका खुलासा एनएचएस के पहले व्यापक अनुसंधान से हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि षड़यंत्र में विश्वास, वैक्सीन के परीक्षण में अश्वेत और जातीय अल्पसंख्यक प्रतिभागियों की कमी, या पूर्व के संक्रमण से को विभाजित -19 इम्यूनिटी की सोच प्रमुख रोशनी में शामिल है।

ब्रिटेन में भी कोविद -19 वैक्सीन पर लोगों को शक है

शोधकर्ता और लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोगों के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनीष पारीक ने कहा, “इन कारकों को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसको समझे बिना आप कोई भी रणनीति लागू नहीं कर सकते।” पारीक और उनके साथी पूर्व में अश्वेत और दक्षिण एशियाई स्वास्थ्य कर्मियों, 30 साल से नीचे के वर्कर्स और ज्यादा वंचित क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के बीच को विभाजित -19 टीकाकरण की कम दर का पता लगा चुके हैं।

स्वास्थ्य कैर वर्कर्स की एक चौथाई वैक्सीन की अनिच्छुक

संदेह की वजह से बेहतर तरीके से समझने के लिए उन्होंने 11,584 क्लीनिकल और गैरकानूनी स्टाफ को भर्ती किया। उसी तरह को विभाजित -19 टीकाकरण के प्रति उनके रुझान को जानने के लिए विस्तृत प्रश्नावली पूरी की गई। कुछ अभियानों की गतिविधियों को अधिक व्यापक रूप से समझने के लिए इंटरव्यू करना पड़ा। शोध में पाया गया कि 23 फीसद स्वास्थ्य कर्मी को विभाजित -19 वैक्सीन इस्तेमाल करने में संदेह करते हैं और ये संदेह BAME स्वास्थ्य कर्मियों के बीच ज्यादा आम है, विशेषकर उन लोगों में जिनके संबंध में रावेत नैनबियन ग्रुप से है। हालांकि, कुछ श्वेत स्वास्थ्य कर्मी भी को विभाजित -19 वैक्सीन नहीं लगवाने का विचार रखते हैं। युवा स्टाफ, प्रेगनेन्ट महिलाओं और फ्लू का टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोग को विभाजित -19 वैक्सीन को संदेह की नजर से देखते हैं।

पारीक ने कहा, “बहुत सारे हेल्थ कैर वर्कर्स जो पिछले 12 महीनों में सकारात्मक रहे हैं, उनका मानना ​​है कि उन्हें इम्यूनिटी प्राप्त होने पर वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ रही है।” संदेह की अन्य प्रमुख वजहों में वैक्सीन का तेजी से विकास के कारण पैदा हुई सुरक्षा की चिंता शामिल थी। भेदभाव का अनुभव और संरचनात्मक असमानता ने भी विशेषकर अश्वेत और रॉबर्टियन स्वास्थ्य वर्कर्स के बीच संदेह को बढ़ावा दिया।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मेडिकल शिक्षा के एसोसिएट प्रोफेसर कैथरीन वूल्फ ने बताया कि स्वास्थ्य कैर वर्कर्स के बीच गलत सूचना और अविश्वास दूर कर वैक्सीन के प्रति संदेह का मुकाबला किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमें तत्काल प्रभाव से विश्वासघात और को विभाजित -19 वैक्सीन से जुड़ी मिथक को दूर करने के लिए रणनीति बनाने की जरूरत है, विशेष रूप से उन समुदायों में जहां बड़े पैमाने पर शक किया जाता है। इसके लिए संचार दुखों और विश्वसनीय है। नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा सकता है “

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