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किडनी का इलाज कराने आए बच्चे को लगी गोली, मां ने मजबूर होकर कहा- कुछ नहीं हुआ तो यहीं छोड़कर चले जाएंगे

किडनी का इलाज कराने आए बच्चे को लगी गोली, मां ने मजबूर होकर कहा- कुछ नहीं हुआ तो यहीं छोड़कर चले जाएंगे

by Sneha Shukla

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पटना: बीते बुधवार शाम फोटो स्टेट और दवा कारोबारी के एजेंट वीरेंद्र यादव को अज्ञात शूटरों ने गोली मारी और फरार हो गए। फायरिंग में उसी जगह होटल में खाना खा रहे एक बच्चे को भी गोली लगी। स्थानीय लोग दोनों घायलों को आईजीआईएमएस की इमरजेंसी में ले गए, जहां डॉक्टरों ने वीरेंद्र यादव को मृत घोषित कर दिया। खबर मिलते ही सचिवालय डीएसपी और शास्त्री नगर थाने के अधिकारी मौके पर पहुंचे और छानबीन शुरू की। प्राथमिक जांच में रंगदारी नहीं देने को लेकर हुए विवाद में वीरेंद्र की हत्या की बात सामने आ रही है।

इस हादसे से पहले ही बीमार 9 वर्षीय शेख रवाज़ और उसके परिवार को बुरी हालत में पहुंचा दिया गया था। घायल बच्चे के पिता शेख सज्जाद पेशे से मजदूर हैं और गुजरात में सिलाई मशीन चलाते हैं, थाना जगदीशपुर, ग्राम बनौढा, जिला पश्चिमी चंपारण के निवासी हैं। रवाज़ ने बताया कि खाना खाने जा रहा था, तब गोली चली, सबलोग भाग रहे थे, मैं भी डर के भागा तो गोली चली गई। गोली चलाने वाले बाइक से दो लोग थे, गोली चला कर वो लोग भाग गए फिर उसके मामा अस्पताल लेकर आए।

बच्चे की मां सोनी खातून ने बताया कि बच्चे का पहले से किडनी का इलाज चल रहा था, जिसके लिए पिछले तीन महीने से दवा चल रही थी। उसी की जांच करवाने अस्पताल आया था। अभी जांच हुई भी नहीं थी कि यह घटना घटित हो गई। वह तब तक पटना नहीं आईं थी। बच्चा अपने मामा के साथ अस्पताल आया था और खाना खाने के लिए बाहर निकला था। गोली लगी तो मामा बच्चे को अस्पताल में भागा।

जब प्रशासन के लोग आए तो वादा किया कि वे इलाज का पूरा खर्च उठाएंगे। सोनी खातून ने बताया, “पांच हजार देकर कह दिया कि अब पैसा नहीं है। हमको कोई सरकारी पैसा थोड़े मिलता है कि हम इलाज करवाएं, जितना बनता था दे दे, बाकी अब अपने पैसे से इलाज करें।” उन्होंने कहा कि अभी तक उनका लगभग 15 हजार खर्च हो चुका है। उनके भाई 7-8 हज़ार लेकर आए थे, वे भी गए थे। किडनी का इलाज अभी तक बंद है। यह भी कहा कि अभी तक उन्हें कोई बैठक नहीं मिली है।

सोनी खातून ने इच्छा जाहिर की कि बच्चे की जो परेशानी है वह खत्म हो जाए। लड़के की ज़िंदगी का सवाल है। वह ज़िंदगी उसको लौटा दे, क्योंकि बच्चे से बढ़कर इस दुनिया में उसके लिए कोई नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके चार बेटे हैं और जोको शूट शुरू हुआ वो मंज़ला बेटा है। भाई जो घटना के दिन बच्चे के साथ मौजूद था, वह पैसों का इंतज़ाम करने गांव गया है। प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा है और उनके पास एक रुपया नहीं है कि इलाज करवाएं।

उन्होंने बताया कि गांव से कुछ पैसे मदद के रूप में आए, जिससे जांच हुई है। तब तक बच्चा बिना जांच और दवा के रहा। इसमें भी कुछ दौड़ अभी नहीं हुई हैं। लोग बोल रहे हैं कि आज चाहे फ्राइडे की वजह से सब बंद है। जो जांच हुई है, उसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है। यह भी बताया कि वे बहुत गरीब हैं। दैनिक दिहाड़ी करने वाला आदमी कहां से यह सब कर पायागा। सहारे के लिए गुहार भी लगाई और यह तक कह दिया कि जब कुछ नहीं होगा तो हम अपने बच्चे को यहां इसी हालत में छोड़कर चले जाएंगे। अस्पताल का मन करेगा तो सही कर के भेजेगा, मेरे बच्चे की ज़िंदगी पहले जैसी थी, वैसा कर के चलो लोग।

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