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कोरोना टीकों को बौद्धिक संपदा बंधनों से छूट दिलाने की भारतीय मुहिम रंग लाई, अमेरिका ने किया रियायत देने का फैसला

कोरोना टीकों को बौद्धिक संपदा बंधनों से छूट दिलाने की भारतीय मुहिम रंग लाई, अमेरिका ने किया रियायत देने का फैसला

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोविद -19 वैक्सीन को बौद्धिक संपदा अधिकार से छूट का समर्थन दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति का यह फैसला भारत के प्रयासों की बड़ी कामयाबी है और इसका लाभ दुनिया के 60 से अधिक देशों को मिलेगा। ऐसे में नजरें अब जिनेवा में चल रही हैं डब्ल्यूटीओ जनरल कौंसल की बैठक पर होगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति की शीर्ष व्यापार वार्ताकार कैथरीन ताई ने एक बयान जारी कर विश्व व्यापार संगठन वार्ताओं में इस छूट का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी की अनुकूल परिस्थिति के समयगत उपायों की जरूरत है। महत्वपूर्ण है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका की अगुवाई में लगभग 60 देश इस बात की मांग कर रहे थे कि वैश्विक महामारी से निपटने के लिए इसकी बहुत जरूरत है। गौरतलब है कि बौद्धिक संपदा कानूनों के कारण वैक्सीन के उत्पादन की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं।

="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> राष्ट्रपति बाइडन के फैसले की टाइमिंग भी विशेष महत्व रखती हैं। जिनेवा में हो रही विश्व व्यापार संगठन के जनरल काउंसिल की बैठक से ठीक पहले इस निर्णय से भारत की कोशिशों को काफी बल मिलेगा। उम्मीद है कि भारत की अगुवाई में विकासशील देशों का समूह यह कोशिश करेगा कि मौजूदा बैठक में इस प्रस्ताव पर डब्ल्यूटीओ के सहमति की मुहर लग जाए। विदेश मंत्रालय के थिंक टैंक आरआईएस के महानिदेशक डॉ। सचिन चतुर्वेदी कहते हैं कि अमेरिका यदि अपने रुख में बदलाव करते हुए बौद्धिक संपदा कानूनों में रियायत देता है तो इसका सीधा असर कोरोना रोधी टीकों की व्यापक उपलब्धता पर पड़ेगा। फाइजर, मोडर्ना, जॉन्सन और जॉन्सन जैसे कई टीकों के बौद्धिक संपदा अधिकार अमेरिकी कंपनियों के पास है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष डॉ टेड्रॉस अधनॉम घेब्रेसियस ने भी विभाजित महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के इस ताजा निर्णय को रेटिंग & zwj; अपने ट्वीट में डॉ टेड्रॉस ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन का यह निर्णय ज्ञान और नैतिक नेतृत्व को प्रदर्शित करता है।

पीएम मोदी ने बाइडन के साथ फोन वार्ता के दौरान मुद्दा को उठाया था > कोई भी छवि ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 26 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन के साथ फोन वार्ता के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से अनुरोध किया था। वहीं भारत ने बीते साल गांधी जयंती को विश्व व्यापार संगठन में इस बाबत प्रस्ताव दिया था कि वैश्विक महामारी से तुलना के लिए टीके को बौद्धिक संपदा कानून बनने पर ट्रिप्स समझौते से छूट दी जाए। भारत के इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान सहित 60 से अधिक देश हैं।

जानकारों का मानना ​​है कि वैक्सीन ही नहीं आगर रेमडेसिव जैसी दवाओं को भी इस रियायत के दायरे में ला दिया जाता है तो इससे उपलब्धता और उत्पादन चेन पर मौजूद दबाव कम होगा। ध्यान रहे कि भारत में बढ़ते कोरोना मामलों के कारण रैमडेसिवर दवा की खपत कई गुना बढ़ी है। इस दवा का भारत में प्रतिदिन उत्पादन जहां 67 हजार वाइल है वहीं खपत का आंकड़ा लगभग 3 लाख डोज तक पहुंच गया है। अन्य देशों से रेमदेसीवीर प्रोत्साहन की भी कोशिश हो रही है। ऐसे में अगर रेमेडसीवीर जैसी दवा को रियायत मिलती है तो इसका लाइसेंस उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> हालांकि इस बीच रिपब्लिकन पार्टी के करीब एक दर्जन सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडन के इस फैसले का विरोध किया है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि बाइडन प्रशासन के इस फैसले से अमेरिकी कंपनियों के हित प्रभावित होंगे। सांसद जिम जॉर्डन और डैरेल इस्सा ने अमेरिकी टूल प्रतिनिधित्व विषायन ताई को लिखित खत में कहा कि इस बदलाव के बिना टीकों की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। लिहाजा इस तरह के बदलाव नहीं किए जाने चाहिए।

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