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कोरोना वायरस: भारत को अभी लानी होगी कुछ और विदेशी वैक्सीन

कोरोना वायरस: भारत को अभी लानी होगी कुछ और विदेशी वैक्सीन

by Sneha Shukla

नई दिल्ली: कोरोना के भयावह संकट को झेल रहे भारत के लिए आज उम्मीद की एक नई किरण तो जगी है लेकिन पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन तैयार करने और उसे हर नागरिक को उपलब्ध कराने के लक्ष्य को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। काफी दूर हैं। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी की पहली खेप के मिल जाने से हमारे टीकाकरण अभियान में कुछ तेजी से आयेगी लेकिन यह नहीं कह सकता कि वैक्सीन की कमी का संकट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

विशेषज्ञों आदि, वैक्सीन के संकट। चार उबरने में अभी चार-पाँच महीने का वक़्त और लग सकता है। केंद्र सरकार ने एक मई से 18 साल की उम्र से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन देने का ऐलान तो कर दिया लेकिन उसे भी यह अहसास नहीं था कि इसकी कमी के चलते कई राज्य टीकाकरण के तीसरे चरण का अभियान तय वक़्त पर शुरू ही नहीं कर रहा है। होगा। । ही आज ऐसा हुआ भी। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि रुसी वैक्सीन के आ जाने से यह अभियान कुछ गति पकड़ेगा।

28 अप्रैल तक 14 करोड़ से अधिक टीके दिए जा चुके थे

वैसे भारत में हर दिन कोरोनावायरस वैक्सीन की 20 लाख से कुछ अधिक खुराक उपलब्ध हो रही हैं। अवर वर्ल्ड इन डेटा नाम की वेबसाइट के मुताबिक 28 अप्रैल तक 14 करोड़ से अधिक टीके दिए जा चुके थे। 10 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में चीन और अमेरिका के बाद भारत का नंबर है।लेकिन प्रति 100 व्यक्ति भारत में अब तक केवल 10.6 लोगों को ही खुराक मिली है। देश की लगभग 8.9% आबादी को टीके की कम से कम एक खुराक मिली है, जबकि केवल 1.8% आबादी को दोनों डोज़ दिए गए हैं। विषक्सीन की कमी के कारण ही भारत में टीकाकरण की गति बहुत धीमी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के कई देशों में वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है और आने वाले महीनों में हर देश के पास प्रभावी वैक्सीन के कई विकल्प मौजूद होंगे।फ़िलहाल भारत के पास तीन किस्म की वैक्सीन उपलब्ध है लेकिन सरकार चाहेगी कि हम क्या करेंगे? कि वह कुछ और विदेशी वैक्सीन को अपने यहाँ इस्तेमाल की मंजूरी दे, ताकि आबादी के बड़े हिस्से को इनकी खुराक जल्द मिल सके।

तीनों ही वैक्सीन को कुछ देशों में आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दी गई है। है

मसलन, कोविडफ़ाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन, ये दोनों ‘मैसेंजर आरियन वैक्सीन’ हैं जिन्हें तैयार करने में वायरस के आनुवांशिक कोड के एक हिस्से का उपयोग किया जाता है। ये वैक्सीन एंटीजन के कमज़ोर या निष्क्रिय हिस्से का उपयोग करने की बजाय, शरीर के सेल्स को पढ़ते हैं कि वायरस की सतह पर पाया जाने वाला ‘स्पाइक प्रोटीन’ कैसे बनायें जिनकी वजह से को विभाजित -19 होता है। p> ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन भी अलग है। वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए चिंपांज़ी को सकारात्मक करने वाले एक वायरस में कुछ बदलाव किए हैं और को विभाजित -19 के आनुवंशिक-कोड का एक टुकड़ा भी इसमें जोड़ा दिया है। ये तीनों ही वैक्सीन को अमेरिका और ब्रिटेन सहित कुछ देशों में आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी जा चुकी है। ।

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