वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी कोरोना का भरावह रूप देखने को मिल रहा है। काशी में कोरोना रोगियों के परिजन दर-दर भटक रहे हैं। किसी को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है तो कोई अपने मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं करवा पा रहा है। ऐसे में सवाल व्यवस्था पर खड़े हो रहे हैं और किस जवाब देना चाहिए।
सुध लेने वाला कोई नहीं
वाराणसी के सिगरा क्षेत्र में बना को विभाजितांत केंद्र देखने में भव्य और आलीशान नजर आता है। इसके गेट पर टोल फ्री नंबर भी दिए गए हैं। कहा जा रहा है कि आप अगर किसी प्रकार की समस्या में हैं तो ये नंबरों पर फ़ोन करें लेकिन ना तो नंबर मिलते हैं और ना ही उठते हैं। परेशान हाल जनता की सुध लेने वाला कोई नहीं है। लोग दर-दर भटकने को मजबूर हैं। काशी में भी ऑक्सीजन की कमी है। सार्वजनिक ऑक्सीजन की डिमांड को लेकर त्राहि-त्राहि कर रही है। ऐसी परिस्थितियों के कारण जनप्रतिनिधि भूमिगत हैं और लोगों से ऑफलाइन संपर्क में होने की बात कह रहे हैं। लेकिन, होते कब हैं ये पता नहीं हैं।
सबकुछ फेल नजर आ रहा है
अब आंकड़े भी जान लें। वाराणसी में कोविद के 45 अस्पताल हैं जहां से सात हजार ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड है। सप्लाई मात्र साढ़े चार हजार हो रही है। आक्सीजन के 6 प्लांट हैं। अगर बात करें तो नॉन कोविड अस्पताल और घरेलू उपचार करने वालों की तो ऑक्सीजन की डिमांड अलग से बढ़ जाती है। लिहाजा, सबकुछ फेल नजर आ रहा है और कांग्रेस भी अब सहयोगी हो रही है।
जब जनता की समस्याओं का हल निकालने का है
कांग्रेस नेता अजय राय का कहना है कि रिपोर्ट देखने वाले दावे से ऊपर उठें और जनता के बीच पहुंचे। चाहे वे जनप्रतिनिधि हों या अधिकारी। ये समय जनता की समस्याओं का हल निकालने का है। उम्मीद है कि हल जरूर निकलेगा।
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