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क्या वयाग्रा की गोली पुरुषों की उम्र बढ़ाने में भी है कारगर? रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

क्या वयाग्रा की गोली पुरुषों की उम्र बढ़ाने में भी है कारगर? रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

by Sneha Shukla

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वायग्रा का इस्तेमाल न सिर्फ यौन शक्ति के लिए अच्छा है बल्कि उसके संबंध पुरुषों की लंबी जिंदगी से भी जोड़ा जा सकता है। नई रिसर्च में पाया गया कि जिन पुरुषों ने हार्ट अटैक के बाद छोटी गोली का इस्तेमाल किया, उन्हें फिर से हार्ट अटैक का खतरा कम हो गया।

स्वीडिश रिसर्च के मुताबिक, यौन शक्ति बढ़ानेवाली वायोग्राम की गोली हार्ट अटैक और दिल संबंधी पेचीदगी के खतरे को कम कर सकती है। दावा है कि नपुसंकता की दवा सिल्डेनाफिल हार्ट अटैक के जोखिम को कम कर पहले से दिल की बीमारी वाले पुरुषों के जीवन काल को बढ़ाती है। कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के रिसर्च को जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियालगरी में प्रकाशित किया गया है।

क्या वयाग्रा के इस्तेमाल से दोबारा हार्ट अटैक का खतरा होता है?

अग्रणी वैज्ञानिक मार्क ट्रोफ़ोर्ड ने डेली एक्सप्रेस को बताया कि खोज ‘अविश्वसनीय रूप से उत्साहजनक’ हैं। वैज्ञानिकों ने कोरोनरी आर्टरी डिजीज वाले 18,500 पुरुषों का विश्लेषण किया जो नपुसंकता का इलाज करवा रहे थे। उनमें से 16,500 वायोग्राम का इस्तेमाल कर रहे थे जबकि 2,000 पुरुष नपुसंकता का इलाज करनेवाली अन्य दवा सिल्डेनाफिल सिरींज से ले रहे थे। शोध से पता चला कि नियमित वायग्रा का सेवन करनेवाले पुरुषों को हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, बायपास सर्जरी का एक सिल्डेनाफिल लेनेवालों के मुकाबले कम हुआ, जिससे उनकी जिंदगी लंबी होने में मदद मिली।

गोली दिल की बीमारी के खतरे को कम कर बढ़ाती है उम्र- रिसर्च
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का कहना है कि किसी भी स्वस्थ पुरुष में नपुसंकता की समस्या दिल की बीमारी का संकेत हो सकती है। इलाज का अन्य विकल्प पीडीई 5 इन्हिबिटर्स नामक दवा का वर्ग जैसे वयाग्रा (सिल्डेनाफिल) या सियालिस (टाडालाफिल) है, जिसे एमबीए के तौर पर मुंह से नाक में जाता है। ये दवाइयां रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए PDE5 एन्जाइम को रोकने का काम करती हैं। शोधकर्ताओं ने जानने की कोशिश की कि नपुंसकता के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इन दवाइयों का कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मरीजों पर कैसे प्रभाव पड़ता है।

नपुंसकता का इलाज शुरू करने से छह महीने पहले भागीदारों को हार्ट अटैक, बलून मरना या बाइपास सर्जरी का अनुभव हो गया था। डॉक्टरों का कहना है कि दोबारा हार्ट अटैक का खतरा पहले छह महीने में सबसे ज्यादा होता है। नतीजे बताते हैं कि इस बात की संभावना है कि पीडीई 5 इनहेबिटिटर्स इस्तेमाल करनेवाले एल्प्रो कोस्टाडील लेनेवालों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ थे और इसलिए उनमें कम खतरा था। हालांकि, खोज के नतीजों की पुष्टि के लिए ज्यादा रिसर्च किए जाने की भी बात कही गई है।

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