<पी शैली="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफाई;"><>नईः कोरोना उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पर्यावरण के संरक्षण बालू में दर्ज किए गए हैं, जिनकी तस्वीरें सामने आती हैं, और तो भी दिल दहलाने की जाती हैं। यह भी पूरी तरह से लागू होगा कि पावन गंगा का एक दिन एक दिन में पूरी तरह से लागू हो। वैट, ये हिंदुस्तान के हकीक़त की वो तस्वीर है, जो वैसा ही करने के लिए मजबूर है, जैसा कि उसके बाद उसके जैसा वैसा ही अंतिम संस्कार के लिए नसीब नहीं होगा।
सवाल रहने की स्थिति में यह ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ अधिकांश शव ऐसे गरीब परिवारों के परिजनों के हैं जिनके पास इस माहौल में दो वक्त के खाने का जुगाड़ तक नहीं है, तो वे शव के अंतिम संस्कार के लिए 12-15 हजार रुपये भला कहां से लाते। सो, आदत को खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। घटना से पर्यावरण को बचाने के लिए हिंदुस्तान की रक्षा करेंगे और भरते की सहायता करेंगे।
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