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गोंडा: बंदी की मौत के बाद जिला अस्पताल के बाहर फेंका शव, डिप्टी जेलर बोले- गलत हैं आरोप 

गोंडा: बंदी की मौत के बाद जिला अस्पताल के बाहर फेंका शव, डिप्टी जेलर बोले- गलत हैं आरोप 

by Sneha Shukla

गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में थाना तरबगंज क्षेत्र के गूचा बीकापुर गांव के रहने वाले रामदत्त पांडे चुनावी हिंसा के दौरान जिला कारागार में निरंकुश हुए थे। तबीयत खराब होन पर रामदत्त पांडे को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृत्यु के बाद जिला अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी और जिला कारागार के अधिकारियों के आरोप में उन्होंने शव को लावारिस हालत में जिला अस्पताल के बाहर फेंक दिया। जब इस मामले की सूचना परिजनों को हुई तो उन्होंने शव को कब्जे में लिया।

लावारिस की हालत शॉ रही
जिला कारागार में निरुद्ध कैदी रामदत्त पांडे को बीते 4 मई को तबीयत खराब हुई थी। उसके बाद उसे जिला कारागार में भर्ती कराया गया था। बीती रात हालत गंभीर होने पर जेल कर्मी उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए, जहां उसकी मौत हो गई। हैरानी की बात ये है कि बंदी की मौत के बाद उसका शव काफी देर तक लावारिस हालत में गेट पर ही पड़ा रहा।

परिजनों को सूचना नहीं मिली
19 अप्रैल को तरबगंज के घांचा बीकापुर में मतदान के दौरान हिंसा हुई थी। हिंसा में नाम आने के बाद रामदत्त पांडे को जेल भेजा गया था। जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद रामदत्त की मौत हो गई लेकिन हैरानी की बात ये है कि शव को लावारिस हालत में जिला अस्पताल के बाहर फेंक दिया गया। बंदी के परिजनों को ना जेल पुलिस ने इशारा किया और ना ही जिला अस्पताल प्रशासन ने। बीमारी की सूचना भी परिजनों को पहले नहीं दी गई थी। आरोप है कि दो बार परिजन जेल में मिलने गए लेकिन मुलाकात नहीं करने दी गई।

गलत होने के आरोप हैं
पूरे मामले को लेकर जिला कारागार के डिप्टी जेलर विवेक सिंह का कहना है कि बंदी रामदत्त पांडे को बीती 21 अप्रैल को बंदी जेल में निरुद्ध किया गया था। उसके बाद 4 मई को उसकी परिस्थिति गंभीर हुई तो उसे जेल के अस्पताल में भर्ती कराया गया। सोमवार को उसे सांस लेने में थोड़ी परेशानी हुई तो जिला अस्पताल गोंडा भेजा गया था जहां उसकी मौत हो गई थी। जिला अस्पताल के बाहर उसके शव को लावारिस अवस्था में नहीं छोड़ा गया था। इसको लेकर गलत आरोप लग रहे हैं।

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