Home » घोड़े पर सवार होकर आएंगी, हाथी पर जाएंगी मां दुर्गा, ये होगा असर
DA Image

घोड़े पर सवार होकर आएंगी, हाथी पर जाएंगी मां दुर्गा, ये होगा असर

by Sneha Shukla

[ad_1]

संवत 2078 का आरंभ 13 अप्रैल से होगा और केवल वासनिक नवरात्रि भी आरंभ होगा। चैत्र नवरात्रि मंगलवार से आरंभ होने का कारण मां दुर्गा घोड़ पर सवार होकर आएगी। शास्त्र वचन है कि-शशि सूर्ये ग्योरुढा, शनि ब्रह्मात् तुरगमे। गुरौ शुक्रे च दोलाएँ, बुधे नौका प्रकीर्तिता। सोमवार सोमवार को आरंभ होने वाली नवरात्रि में दुर्गा माता हाथी पर सवार होकर आते हैं। शनि और मंगल को नवरात्रि आरंभ होने से दुर्गा माता के घोड़े पर सवार होकर आता है। गुरु और शुक्रवार को नवरात्र आरंभ होने पर दुर्गा माता झूले पर सवार होकर आते हैं और बुधवार को नवरात्र आरंभ होने से दुर्गा माता ड्रा पर सवार होकर आते हैं। क्योंकि इस बार नवरात्र मंगलवार को आरंभ हो रहे हैं इसलिए दुर्गा माता का वाहन घोड़ा होगा।

इसका असर पड़ेगा
शास्त्रों में आगे कहा गया है कि जिस वर्ष दुर्गा माता के घोड़े पर सवार होकर आते हैं उस वर्ष जनता बहुत व्याकुल होती है। युद्ध और उपद्रव की आशंका पूरे वर्ष बनी रहती है। गर्मी बहुत पड़ती है। कहीं-कहीं क्षत्रपात भी हो जाता है अर्थात किसी देश या राज्य की सरकार गिरने का डर होता है। अंतिम नवरात्रि श्री राम नवमी को होगी। उस दिन बुधवार है।
इसके बारे में भी शास्त्रों के छंद हैं कि यदि नवरात्रि की समाप्ति बुधवार को हो तो दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाते हैं। हाथी पर जब माता जाती हैं तो उस वर्ष वर्षा अधिक होती है। धन्य-धान्य बेच होता है। सार्वजनिक सुखी होती है, किंतु अराजक तत्व देश और धर्म को हानि पहुंचाने के प्रयास करते रहते हैं। हाथी पर जाने का तात्पर्य यह भी है कि देश के सत्तारूढ़ सरकार और दृढ़ होंगे। जैसे हाथी मस्त होकर चलता है उसी प्रकार राजा भी निर्भय के शासन में है।

यह भी पढ़ें: होलिका दहन 2021: होलिका दहन पर शनि-राहु-केतु और नजर दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
-प्रातः 6:02 बजे से 7:38 बजे तक मेष लग्न (चर लग्न)
-7: 38 बजे से 9:34 बजे तक वृषभ लग्न (स्थिर लग्न)
-मध्यान्ह 11:36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजित मुहूर्त।
-अपराहन 14:07 बजे से 16:25 बजे तक सिंह लग्न स्थिर लग्न।
-चौघड़िया के अनुसार भी घट स्थापना के तीन मुहूर्त बहुत अच्छे हैं। प्रात: 9:11 से और अपराहन 2:56 तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया रहेंगे जो घट स्थापना के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।

यह भी पढ़ें: पांच अप्रैल को बृहस्पति बदल जाएगा

कलश स्थापना की विधि
सबसे पहले घट स्थापना के लिए मिट्टी या तांबे का कलश लें। इसमें शुद्ध जल, गंगाजल, चावल, सुपारी, और कुछ पैसे डाल कर वरुण देव का ध्यान करें। किसी मिट्टी या धातु के बड़े पात्र में मिट्टी या रेत भरकर उसमें जौं बो दें। उसके ऊपर कलश की स्थापना करें। दुर्गा माँ के चित्र की दायीं और जौ का पात्र लेकर कलश स्थापना करें। मां दुर्गा के बाएं हाथ की ओर अखंडता या दीपक की स्थापना करें। अर्थात जब आपकी सामने मां की प्रतिमा होगी आप के बाएं हाथ की ओर अर्थात ईशान दिशा में कलश और दाएं हाथ की ओर अर्थात आग्नेय दिशा में दीपक का स्थान होता है।

नवरात्रों की प्रमुख तिथियां
-गणगौर पूजा -15 अप्रैल
-दुर्गा सप्तमी – 19 अप्रैल
-दुर्गाष्टमी -20 अप्रैल
-श्रीरामनवमी -21 अप्रैल

((ये धार्मिक धार्मिक आस्थाएँ और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)



[ad_2]

Source link

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment