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आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कई नीतियों का वर्णन किया है जो जीवन में संसक्त हैं। आचार्य के विचार आज भी लोगों को जीवन में आगे बढ़ने में मदद करने के साथ धोखा खाने से बचाते हैं। एक श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि आखिर कैसे सामने को दर्शाता है।
चाणक्य कहते हैं कि किसी की गुडई देखनी है तो उससे सलाह लेनी चाहिए, किसी के गुण देखने हैं तो उसके साथ भोजन करना चाहिए, किसी प्रयुक्त देखनी हो तो उसे सम्मान देना चाहिए और किसी की नियत देखनी है तो उसे कर्ज देना चाहिए।
चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को हमेशा 4 चीजों से पूछनाना चाहिए। ये चार चीजें हैं- किसी से सलाह लेना, किसी के साथ भोजन करना, सम्मान करना और कर्ज देना। चाणक्य कहते हैं कि कोई भी अच्छाई देखनी हो तो उसकी सलाह लेनी चाहिए। कई बार इंसान सामने वाले को उसी सलाह देता है जो वह खुद अजमाता है। लेकिन कई बार लोग ऐसी सलाह देते हैं जो सामने वाले को मुश्किल में फंसाते हैं।
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नीति शास्त्र के अनुसार, यदि किसी के गुण देखने को उसके साथ भोजन करना चाहिए। खाना खाने के समय व्यक्ति को कई निराशाओं पर परखा जा सकता है। अगर खाना उसने बनाया है तो कैसा बनाया है, खाना परसने का तरीका और किस तरह से खाना खा रहा है, यह सब चीजें परखी हो सकती हैं।
चाणक्य कहते हैं कि किसी की आदत देखनी है तो उसे सम्मान देना चाहिए। कई बार लोग सम्मान पाने के बाद इतराने लगते हैं। जबकि कई लोग उसी तरह से बर्ताव करते हैं, जैसे वह पहले थे। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के नियत की माँग करने के लिए ऋण देना चाहिए। कई बार लोग कर्ज लेने के बाद लोभ में आकर पैसे वापस करना भूल जाते हैं। चाणक्य कहते हैं कि कोई को पूछनेना हो तो ये चार तरीके हैं।
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