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आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के हर एक पहलू से जुड़ी समस्याओं का हल बताया है। चाणक्य नीति में धर्म, शिक्षा, मानव विकास, शांति, न्याय, संस्कृति, मित्रता, शत्रुता और मानव जीवन के विकास से जुड़ी नीतियों का वर्णन है। आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के जरिए नीति शास्त्र में महापुरुषों की पहचान के संकेत दिए हैं। आज पढ़िए
स्वर्गीयानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्ननिक वसन्ति देहे।
दानप्रस दानगो मधुरा च वाणी देवार्चनं ब्राह्मणतर्पणं च।
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि महापुरुषों की पहचान 4 गुणों से की जा सकती है। महापुरुषों में दानशीलता, मधुर वाणी, ईश पूजा और विद्वान भक्ति इन 4 गुणों का समावेश होता है। चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों में ये 4 गुण होते हैं, उनकी रेटेड महापुरुषों की श्रेणी में किया जाता है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति दान के लिए हमेशा तैयार रहता है। उसकी भाषा मधुर होती है। ऐसा व्यक्ति ईश्वर के प्रति बहुत श्रद्धा भाव रखता है। वह विद्वान लोगों का सम्मान करना जानता है।
चाणक्य के अनुसार इस बात का ध्यान रखना चाहिए-
आचार्य चाणक्य ने धार्मिक कार्यों को काफी महत्व दिया है। चाणक्य कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति धार्मिक कार्य में गलती कर देता है तो शुभ परिणाम मिलने की बजाए विपरीत परिणाम को भुगतना पड़ रहा है। चाणक्य कहते हैं कि धार्मिक कार्यों के दौरान व्यक्ति को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
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