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चाणक्य नीति: हमेशा स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति का इन बातों को जानना है जरूरी, पढ़ें सेहत से जुड़ी आज की चाणक्य नीति

by Sneha Shukla

आजकल कोरोनावायरस का कहर जारी है। संकट काल में हर किसी को सावधान व खुद का रखने रखने की आवश्यकता है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में स्वस्थ रहने का कारगार तरीका बताया है। चाणक्य की नीतियों को अपना पाना मुश्किल होता है। लेकिन कहते हैं कि जिसने भी उसे सफल होने से रोका, वह नहीं रोका गया। जानिए सेहत से जुड़ी आचार्य चाणक्य ने बताई हैं कौन-सी बातें-

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषपूर्णम् ।।

चाणक्य ने इस श्लोक में पानी पीने की विधि बताई है। अक्सर आपने डॉ और विशेषज्ञों से सुना होगा कि पानी ज्यादा से ज्यादा पीए हैं। भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। इसी तरह से सेहत के बारे में बताते हुए चाणक्य कहते हैं कि भोजन के पचने के बाद पानी एक औषधि के समान होता है। अगर भोजन के करीब एक घंटे बाद पानी पिएं इससे शारीरिक बल मिलता है। अगर भोजन के बीच में पानी को थोड़ा-थोड़ा पीते हैं तो यह अमृत समान होता है। भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से यह विष के समान काम करता है।

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चाणक्य आगे कहते हैं कि खड़े अन्न की तुलना में पीसा हुआ अन्न ज्यादा पौष्टिक होता है। पिसे हुए अन्न से 10 गुना ज्यादा फायदेमंद दूध होता है। जबकि दूध से 10 गुना मांस पौष्टिक होता है और मांस से 10 गुना पौष्टिक घी होता है। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को इन चीजों का सेवन करना चाहिए।

चाणक्य ने श्लोक में सभी औषधियों में से गिलोय को प्रमुखता दी है। इसलिए इसका सेवन करना चाहिए। चाणक्य ने भोजन को जीवन का सबसे बड़ा सुख बताया है। ऐसे में स्वस्थ शरीर व निरोगी काया के लिए उत्तम भोजन करना जरूरी होता है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को आँखों का विशेष रखना चाहिए और मानसिक तनाव से व्यक्ति को स्वयं को दूर रखना चाहिए।

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