लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कल पंचायत चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग होनी है। वोटिंग से पहले आज भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर सभी सियासी दलों ने अपने-अपने तरीके से बाबासाहेब को याद किया। पंचायत चुनाव से ठीक पहले जयंती के बहाने ही सही सियासी पार्टियों बाबासाहेब को याद कर बताया जाता है कि उनके निगाहें दलित वोटबैंक पर हैं।
मायावती ने बाबा साहब को किया याद
सबसे पहले बात बहुजन समाज पार्टी और उनकी सुप्रीमो मायावती की। बीएसपी लंबे समय से ही बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती को धूमधाम से मनाती चली आ रही है। हालाँकि, इस बार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण इसे सीमित संख्या में ही मनाया गया है। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती जो खुद को दलित की बेटी कहती हैं कि वे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें याद करते हैं एक बार फिर प्रदेश में जब उनकी सरकार थी तब की बातों को याद दिलाया जा सकता है। साथ ही केंद्र सरकार से ये भी मांग की कि गरीबों, वंचितों को कोरोना की वैक्सिन मुक्त में लगाई जाए। इतना ही नहीं मायावती ने कहा कि एक बार फिर देश में पलायन शुरू हो गया है ऐसे में ये जिम्मेदारी सरकारों की है कि वह लोगों के खाने और आने-जाने का प्रबंध करें। दरअसल, बीपीपी की कोशिश है कि इस बार पंचायत चुनाव के जरिए 2022 के चुनाव से पहले यूपी में अपनी खोई सियासी जमीन को वापस पाया जाए।
मायावती से दो कदम आगे निकले अखिलेश
बात बुआ की हुई तो भला बबुआ की बात कैसे ना हो। अखिलेश यादव ने तो बुआ मायावती से भी दो कदम आगे बढ़ते हुए कुछ दिन पहले ही दलित दिवाली मनाने का आह्वान किया था। लेकिन, जब सोशल मीडिया पर खिंचाई हुई तो इसे केवल दिवाली का नाम दे दिया गया। साथ ही आज के दिन को संविधान रक्षा दिवस के तौर पर मनाने और बाबासाहेब वाहिनी के गठन का एलान किया था। कोई भी कार्यक्रम उससे पहले अखिलेश यादव की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गया। लेकिन भीमराव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर कल ही अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यालय में दिए जलाए और दिवाली भी मनाई।
दलित वोटबैंक पर नजर है
अब बात करते हैं सत्ताधारी बीजेपी की जिसे 2014, 2017, 2019 के चुनाव में दलित वोटबैंक के मोटे देश और प्रदेश के अधिकार हासिल हुए। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों से पार्टी बाबासाहेब की जयंती को भव्य तरीकों से मनाने लगी है। आज सुबह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह लखनऊ में हजरतगंज चौराहे पर बने अंबेडकर प्रतिमा पर पहुंचे और वहां मूर्ति पर माल्यार्पण किया। जबकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए अंबेडकर महासभा की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। हालांकि, इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री की रिपोर्ट को भी पॉजिटिव आ गया। बीजेपी को पता है कि बिना दलित वोटबैंक के पंचायत चुनाव में जीत हासिल करना आसान नहीं है।
कांग्रेस भी पीछे नहीं रही
वहीं, कांग्रेस कार्यालय पर भी आज बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को याद किया गया। हालाँकि, आज प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाले थे, लेकिन वे अपरिहार्य कारणों के कारण रद्द हो गए। सियासी दलों की तैयारी है कि पंचायत चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल की जाएं और ऐसे में जब संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती का दिन है तो भला कौन सा सियासी दल इस मौके को छोड़ना चाहेगा।
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