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जेलों में फैल रहे कोरोना संक्रमण से SC चिंतित, भीड़ घटाने के लिए राज्यों को दिया कैदियों की रिहाई का आदेश

जेलों में फैल रहे कोरोना संक्रमण से SC चिंतित, भीड़ घटाने के लिए राज्यों को दिया कैदियों की रिहाई का आदेश

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: जेलों में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के चलते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्यों में गठित हाई पावर्ड कमिटी पिछले साल जारी निर्देश के मुताबिक कैदियों की रिहाई पर फैसला ले। गौरतलब है कि पिछले साल भी कोर्ट के आदेश पर कैदियों को अंतरिम जमानत पर छोड़ दिया गया था। तब छोड़े गए सभी कैदी जेल में वापस आ चुके हैं। क्षमता से अधिक भरी जेलों में बड़े पैमाने पर कैदी और कर्मचारी हो रहे हैं। चीफ जस्टिस एन वी रमना के सामने कल यह मामला रखा गया था। इसके बाद यह आदेश आया है।

पिछले साल 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में कैदियों की रिहाई पर फैसला लेने के लिए उच्च स्तरीय कमता बनाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कमता यह फैसला ले कि किन बच्चों की ताकत और विचाराधीन कैदियों को वर्तमान में कुछ समय के लिए रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने यह सुझाव भी दिया था कि 7 साल से कम की सज़ा पाए या छोटे अपराधों में मुकदमे का सामना कर रहे कैदियों को परोल पर रिहा कर देना बेहतर रहेगा। कोर्ट ने इस आदेश के बाद कई महीनों तक कैदियों की रिहाई पर राज्यों से जानकारी ली थी।

शुक्रवार को यह मामला काफी समय बाद कोर्ट में उठा। वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने चीफ जस्टिस की शीर्ष वाली बेंच को बताया कि कोरोना के मामले घटने के बाद लगभग कैदी जेल में लौट आए थे। इस बार ज्यादातर जेल क्षमता से अधिक भरे हुए हैं। कोर्ट को तत्काल इस बारे में आदेश देना चाहिए। उन्होंने यह मांग भी रखी कि हाई पावर्ड कमिटी निर्णय लेने में समय नष्ट कर दिया जाए, इससे बेहतर होगा कि कोर्ट पिछले साल छोड़े गए कैदियों को इस साल भी रिहा करने को कह दे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रमना ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा था कि वह इस मसले पर सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से भी चर्चा करेंगे ताकि प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।

आज सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर आदेश अपलोड कर दिया है। कहा गया है कि राज्यों में गठित हाई पावर्ड कमिटी पिछले साल जारी निर्देश का पालन करे। जिन कैदियों को पिछले साल छोड़ दिया गया था, उन्हें फिर अंतरिम रूप से रिहा किया जाना चाहिए। जिन कैदियों को पिछले साल परोल मिला था, उन्हें फिर से 90 दिन के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। वर्तमान में केवल बहुत जरूरी मामलों में ही गिरफ्तारी हो सकती है।

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