तप से जीवन पर विजय प्राप्त करने का पर्व महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। महावीर जयंती को भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर हैं। महावीर जयंती पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से मंदिर जाता है। जरूरतमंदों को दान दिया जाता है।
भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा परमोधर्म के सिद्धांत को अपनाकर विश्व को शांति का संदेश दिया। महावीर स्वामी का जन्म ऐसे युग में हुआ, जब हिंसा और जाति-पाती के भेदभाव का अंध विश्वास था। भगवान महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की आयु में वैराग्य लिया। 12 साल के कठोर तप के बाद उन्हें सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ। 30 साल तक वे बलिदान, प्रेम और अहिंसा का संदेश फैलाया। वह जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर बने। भगवान महावीर ने अहिंसा को जैन धर्म का आधार बनाया। भगवान महावीर का जन्म राज परिवार में हुआ। संसार को ज्ञान का संदेश देने वाले भगवान महावीर ने घोर तपस्या से अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त की, जिसके कारण उन्हें महावीर कहा गया। उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्होंने अपने उपदेशों द्वारा समाज का कल्याण किया। उन्होंने अपनी शिक्षाओं में सत्य का पालन करो, अहिंसा को अपना, जिओ और जीने दो की सीख दी। पंचशील सिद्धांत के प्रर्वतक और जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी अहिंसा के प्रमुख धवलजवाहकों में से एक हैं।
इस ग्राफ़ में दी गई बदलाव धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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