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दान के बिना अधूरा माना जाता है यह व्रत

by Sneha Shukla

सूर्यदेव पूरे वर्ष में एक-एक कर सभी राशियों में प्रवेश करते हैं। इस चक्र को संक्रांति कहा जाता है। मेष राशि से वृषभ राशि में सूर्यदेव का संक्रमण वृषभ संक्रांति कहा जाता है। वृषभ संक्रांति के दिन से ही जयंती माह का आरंभ माना जाता है।

इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस संक्रांति पर दान पुण्य का विशेष महत्व है। बिना दान किए वृषभ संक्रांति पर की गई उपासना को अधूरा माना जाता है। वृषभ संक्रांति पर ब्राह्मण को जल से भरे घड़ा दान करें। इस दिन गोदान का भी विशेष महत्व माना जाता है। वृषभ संक्रांति पर भगवान सूर्यदेव की पूजा करें। साथ ही भगवान शिव और भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करें। सूर्योदय से पहले स्नान कर भगवान शिव और भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करें। पितृ तर्पण के लिए भी वृषभ संक्रांति को बहुत शुभ माना जाता है। इस व्रत में जमीन पर शयन करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव और भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना कर उन्हें खीर का भोग पाते हैं। वृषभ संक्रांति पर शांति पूजा करने भी शुभ माना जाता है।

यह धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित है, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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