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दिल्ली में 88% ICU बेड्स पर मरीज भर्ती, स्वास्थ्य मंत्री बोले- वेंटिलेटर की किल्लत नहीं

दिल्ली में 88% ICU बेड्स पर मरीज भर्ती, स्वास्थ्य मंत्री बोले- वेंटिलेटर की किल्लत नहीं

by Sneha Shukla

नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ते आकंडों के बीच दिल्ली के अस्पतालों में बेड्स की कमी की समस्या भी सामने आ रही है। खासकर आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेड पर भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी लोगों से अपील की है कि अगर जरूरी हो तो केवल अस्पताल में भर्ती हों। हाल ही में दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर दिल्ली के सरकारी और प्राथमिक अस्पतालों में बेड्स की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए थे।

दिल्ली के 4 बड़े सरकारी अस्पतालों को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल घोषित किया गया। इनमें राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 650 को विभाजित बिस्तर, 200 वेंटिलेटर बेड और 250 आईसीयू बेड किए गए हैं। बुराड़ी अस्पताल में 450 कोटि बिस्तर, 30 वेंटिलेटर बिस्तर और 20 आईसीयू बिस्तर किए गए हैं। दीप चंद बंधु अस्पताल में 213 को विभाजित बिस्तर, 14 वेंटिलेटर बिस्तर और 61 आईसीयू बिस्तर किए गए हैं। वहीं अंबेडकर नगर अस्पताल में 200 को विभाजित बिस्तर, 10 आईसीयू बिस्तर किए गए हैं।

इसके अलावा 14 बड़े प्राथमिक अस्पतालों को भी पूर्ण रूप से को विभाजित अस्पताल घोषित कर दिया गया है। इसमें सर गंगाराम, मैक्स साकेट, फोर्टिस शालीमार बाग, अपोलो सरिता विहार, होली फैमिली, मैक्स शालीमार बाग, वेंकटेश्वर अस्पताल शामिल हैं।

वहीं दिल्ली में बेड्स की किल्लत को लेकर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि अगर आप कोरोना ऐप पर आंकड़ों को देखें तो पिछले सप्ताह 6 हजार बिस्तर अब 13 हजार से बहुत अधिक बेड थे। हम लगातार बेड की संख्या बढ़ा रहे हैं। 2 दिन पहले बिस्तर बढ़ाने के आर्डर जारी किए गए थे। उसको लागू होने में 3-4 दिन लग जाते हैं। पूरे देश के लिहाज से देखें तो किसी भी प्रदेश में जितने अधिकतम को विभाजित बिस्तर हैं, उसके दोगुने से भी ज्यादा दिल्ली में बिस्तर हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में वेंटिलेटर बेड्स की कमी नहीं है।

दिल्ली कोरोना ऐप के बारे में 14 अप्रैल शाम 4 बजे तक दिल्ली के सरकारी और प्राथमिक अस्पतालों में विभाजित बिस्तर की स्थिति की ओर देखें तो लगभग 65% को विभाजित बिस्तर पर रोगी भर्ती हैं। ऐप ‘कहते हैं
-कुल बिस्तर- 13,839
-भरे हुए बिस्तर- 9,053
-खाली बिस्तर- 4,786

कुछ बड़े अस्पताल जिनमें कोविड बेड्स की संख्या शून्य है-
श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल (प्राइवेट)
होली फैमिली हॉस्पिटल (प्राइवेट)
फोर्टिस शालीमार बाग (प्राइमरी)
मूलचंद अस्पताल (केंद्रीय)
काल अस्पताल (प्राथमिक)
प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (प्राइवेट)
विमहन्स (प्राथमिक)
राष्ट्रीय हृदय संस्थान (मूल)
राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट (प्राइवेट)

दिल्ली कोरोना ऐप के मुताबिक 14 अप्रैल शाम 4 बजे तक दिल्ली के सरकारी और प्राथमिक अस्पतालों में वेंटिलेटर आईसीयू बेड्स की स्थिति के तहत लगभग 84% वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड्स रोगी भर्ती हैं। ऐप ‘कहते हैं
कुल बिस्तर- 1177
भरा हुआ बिस्तर- 992
खाली- 185

कोरोना ऐप के 16 सरकारी अस्पतालों में से 8 सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड्स की संख्या शून्य हुई है। वहीं कुल 78 प्राथमिक अस्पतालों में से 59 प्राथमिक अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड्स फुल हो गए हैं।

कुछ बड़े अस्पताल जिनमें वेंटिलेटर बेड्स की संख्या शून्य है-
सफदरजंग अस्पताल (केंद्र सरकार)
बुराड़ी अस्पताल (दिल्ली सरकार)
बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल (दिल्ली सरकार)
दीप चंद बंधु हॉस्पिटल (दिल्ली सरकार)
बेस अस्पताल (केंद्र सरकार)
नारदान रेलवे अस्पताल (केंद्र सरकार)
विमहन्स (प्राथमिक)
होली फैमिली हॉस्पिटल (प्राइवेट)
बत्रा हॉस्पिटल (MA)
अग्रसेन इंटर्न हॉस्पिटल (प्राइवेट)
मैक्स पटपड़गंज (केंद्रीय)
मैक्स शालीमार बाग (केंद्रीय)
अपोलो सरिता विहार (प्राइवेट)
सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (प्राइवेट)
फोर्टिस शालीमार बाग (प्राइमरी)
सेंट स्टीफेंस अस्पताल (केंद्रीय)

दिल्ली कोरोना ऐप के अनुसार 14 अप्रैल शाम 4 बजे तक दिल्ली के सरकारी और प्राथमिक अस्पतालों में आईसीयू बेड्स की स्थिति के तहत कुल 88% आईसीयू बेड पर रोगी भर्ती हैं। इस ऐप के तहत-
कुल बिस्तर- 2155
भरा हुआ बिस्तर- 1897
खाली- 258

कोरोना ऐप के मुताबिक 7 में से 4 सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड्स की संख्या शून्य हो गई है, जबकि कुल 104 प्राथमिक अस्पतालों में से 70 प्राथमिक अस्पतालों में आईसीयू बेड्स की संख्या शून्य हुई है।

कुछ बड़े अस्पताल जिनमें आईसीयू बेड की संख्या शून्य है-
लोकनायक अस्पताल (दिल्ली सरकार)
GTB अस्पताल (दिल्ली सरकार)
बुराड़ी अस्पताल (दिल्ली सरकार)
दीप चंद बन्धु अस्पताल (दिल्ली सरकार)
सर गंगाराम अस्पताल (केंद्रीय)
वेंकटेश्वर अस्पताल (प्राइवेट)
फोर्टिस शालीमार बाग (प्राइमरी)
मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज (प्राइवेट)
अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल (प्राइवेट)
मैक्स शालीमार बाग (केंद्रीय)
सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (प्राइवेट)

आईसीएमआर की एडवाइजर और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट की हेड डॉ। सुनीला गर्ग का कहना है कि अस्पतालों में भर्ती रोगियों में मूल रूप से 5-7% को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है। डॉ। सुनीला गर्ग का कहना है कि यह देखने में आया है कि अस्पताल लगातार को विभाजित के रोगियों से बहुत अधिक भरे जा रहे हैं और जिनको वास्तव में आवश्यकता है उन्हें अस्पताल में जगह नहीं मिल रही है। अगर हम मूल संख्या देखें तो जितने लोग अस्पताल में भर्ती हैं उनमें से केवल 5 या 7% लोग ही ऐसे हैं जिनको वास्तव में मे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है। लेकिन लोग परेशान होकर अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। जो लोग माइल्ड ट्रांसफर से ग्रसित हैं और जिनके ऑक्सिजन लेवल ठीक है, वह घर पर ही रहकर खुद को सुरक्षित करें। अगर कोई गंभीर को-मॉरबीडीटी से ग्रसित है तो उसको अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। हमें ध्यान रखना होगा कि हम सिस्टम पर सामान्य बोझ न डालें।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक 90% से ज्यादा लोग होम आइसोलेशन में ठीक हो रहे हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने अस्पतालों में डॉक्टर्स की टीम भी बनाई है, जो इस बात का आंकलन कर रहे हैं कि क्या वास्तव में रोगी को बिस्तर की जरूरत है? सत्येंद्र जैन का कहना है कि कुछ अस्पतालों में हम मरीज को कोविड कैर सेंटर में भेज देते हैं। कई लोगों का कहना है कि कोविड कैर सेंटर से अच्छा हम घर पर बने रहते हैं तो ऐसे मामलों में हम मरीज को घर पर भी भेज देते हैं।

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