<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली। & nbsp; दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आंकड़े का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय राजधानी की आम आदमी पार्टी की सरकार से सवाल किया कि प्रदेश में को विभाजित -19 जांच में इतनी कमी क्यों आ गई है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि पहले जहां जांच की संख्या एक लाख के आसपास थी, वह अब घटकर 70-80,000 प्रतिदिन हो गई है।
पीठ ने कहा, & lsquo; & lsquo; आपकी जांच में भारी कमी आई है। & rsquo; & rsquo; हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से इस बारे में बताने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता अंकुर महेंद्रू ने कहा कि जांच में कोई प्रगति नहीं है और सरकार मोहल्ला क्लीनिक और सचल क्लीनिकों में रैपिड एंटीजन टेस्ट के साथ शुरुआत कर सकती है। & nbsp; उन्होंने कहा कि जांच के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों और अस्पतालों में मोबाइल वैन तैनात की जा सकती हैं और ऐसी जांच का इस्तेमाल मरीजों के तिमारदारों की ओर से किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने सरकार से इस पहलू की पड़ताल करने और उसे सोमवार को चिह्नित करने का निर्देश दिया।
दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखा
दिल्ली सरकार के वकील सत्यद ने कहा कि ये ऐसे सुझाव हैं, जिन पर सरकार का प्रतिकूल विचार नहीं है। उन्होंने कहा, & lsquo; & lsquo; हम प्रति दिन 70 से 80,000 जांच कर रहे हैं। हम कर्फ्यू से पहले एक लाख के आसपास जांच कर रहे थे। हम बाजार में जा रहे थे। इसलिए 30,000 जांच कम हो गई है। & rsquo; & rsquo;
इस बीच, एक ऑक्सीजन रिफिलर ‘सेठ एयर’ के वकील ने धन की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि उसे ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए जो आवंटन किया गया है वह बहुत अधिक है और उसकी क्षमता से अधिक है। उन्होंने कहा कि वह इतनी आपूर्ति करने में असमर्थ है, इस पर अदालत ने कहा कि इसे दिल्ली सरकार को देखना होगा। & nbsp; दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि ‘सेठ एयर’ का बकाया सरकार द्वारा जल्द ही मंजूर किया गया। क्या ऐसा हो सकता है कि गैस की आपूर्ति श्रृंखला Inf न हो।
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