Home » दिल्ली हाईकोर्ट की आप सरकार पर तीखी टिप्पणी, कहा- हालात नहीं संभाल सकते तो क्यों ना जिम्मेदारी केंद्र को सौंप दें
Corona Impact: दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश- निचली अदालतें केवल अर्जेंट मामलों की करें सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट की आप सरकार पर तीखी टिप्पणी, कहा- हालात नहीं संभाल सकते तो क्यों ना जिम्मेदारी केंद्र को सौंप दें

by Sneha Shukla

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों और ऑक्सीजन की कमी सहित अन्य मुद्दों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणियाँ करते हुए दिल्ली सरकार को इस बारे में सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार से दिल्ली के हालात नहीं संभल रहे हों तो क्यों ना इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को दे दी जाए।

वहीं दिल्ली के अशोक होटल के 100 कमरों को हाईकोर्ट के जजों के लिए अस्पताल के बिस्तर बनाने के दिल्ली सरकार के आदेश पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसे माहौल में जब लोग सड़कों पर मर रहे हैं तो कोर्ट ऐसा सोंच भी हो सकता है। दिल्ली सरकार ने किसके कहने पर यह आदेश जारी किया। जिस बदली सरकार ने अपने आदेश को वापस ले लिया।

10 मिनट के अंदर इलाज देने का जारी किया आदेश- महाराजा अग्रसेन अस्पताल

मामले की सुनवाई के दौरान महाराजा अग्रसेन अस्पताल की तरफ से कहा गया कि वैसे तो हम हर जरूरतमंद को ऑक्सीजन मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आदेश यह जारी किया गया है कि हमको हर इमरजेंसी वाले मरीज को 10 मिनट के अंदर इलाज देना होगा। ।

वहीं, हालत यह है कि पूरा अस्पताल भरा हुआ है एक मरीज को भर्ती करने की जगह नहीं है और सिर्फ इस कारण से हमको मरीज को हर हाल में इलाज देना है। हम इमरजेंसी रास्तों को बंद नहीं कर सकते और अन्य रोगियों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। महाराजा अग्रसेन अस्पताल की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि पिछले 7 सालों से अस्पताल को 2 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलते थे लेकिन 22 से 27 अप्रैल के बीच अस्पताल को बिल्कुल भी ऑक्सीजन नहीं मिली।

इस बीच शांति मुकुंद अस्पताल की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि हमारा ऑक्सीजन का कोटा कम कर दिया गया है और इसके चलते हमारे पास ऑक्सीजन खत्म हो गया है। शांति मुकुंद अस्पताल के वकील ने कहा कि हमारा कोटा 3.2 मीट्रिक टन का था। वर्तमान में 4 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। जबकि दिल्ली सरकार की तरफ से हमको सिर्फ 2.39 एमटी ही दी जा रही है। हालत यह हो गया है कि किस मरीज को कितनी ऑक्सीजन देनी है यह भी अपने दफ्तर में बैठे हैं सरकारी बाबू तय कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार अपने तय फॉर्मूला से सप्लाई कर रही है ऑक्सीजन अस्पताल में

अस्पताल की तरफ से कहा गया दिल्ली सरकार ने आईसीयू और नॉन आईसीयू बिस्तर में कितने ऑक्सीजन रोगी को देनी है उसके लिए दिल्ली सरकार ने एक फॉर्मूला तय कर लिया है। साथ ही के के हिसाब से अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है। इस बीच वेंकटेश्वरा अस्पताल की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसके पास ऑक्सीजन खत्म हो रही है लेकिन नोडल ऑफिसर की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से अस्पतालों की तरफ से शिकायत मिल रही है उससे साफ पता चल रहा है कि एक बड़ी समस्या है और यह सच्चाई है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फिर इतने सारे आदेश और सुविधा का क्या मतलब रह जाता है अगर अभी भी अस्पतालों को कोर्ट का दरवाजा ही खटखटाना पड़ रहा है।

चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि हमने अस्पतालों से पूछा है कि उनकी जाने की कितनी ऑक्सीजन की खपत है साथ ही दवा से भी पूछा गया कि अगले 3 दिनों के दौरान वह दिल्ली को कितनी ऑक्सीजन सप्लाई कर सकते हैं? इसके अलावा हम अस्पतालों को उसी गणना से ऑक्सीजन मुखिया बनाना चाहिए। एक बार जब यह सब जानकारी सरकार के पास आ जाएगी तो हम बेहतर पोजीशन में अस्पतालों का ऑक्सीजन का कोटा तय करने के बारे में करेंगे।

इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को अस्पतालों की दिक्कतों को अभी ध्यान रखना होगा। ऐसा नहीं है कि हम बिना अस्पतालों की समस्या और परेशानियों को समझें कोई भी आदेश जारी कर दें। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने सिर्फ इतना कहा है कि 10 से 15 मिनट के भीतर इलाज दो। जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि ये केवल कागज़ी कार्रवाई से बहुत कुछ नहीं दिखती। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप इस तरीके के आदेश जारी कर कुछ हासिल नहीं कर सकते उल्टा इससे स्थिति को और ज्यादा पेचीदा कर देंगे।

किसी भी मरीज को इलाज से मना ना करने का पालन किया जा रहा है? – कोर्ट

कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकीलों से पूछा कि क्या आप के सरकारी अस्पतालों में इस बात का पालन हो रहा है कि किसी मरीज को इलाज से मना किया जाए? कोर्ट ने कहा कि इस तरीके के आदेश की जरूरत नहीं है क्योंकि अस्पताल भी अपना काम कर रहे हैं। इस आदेश के माध्यम से तो यह मान लिया गया कि अस्पताल का अपना काम ही नहीं कर रहा है।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि कल दिल्ली को 400 मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन की सप्लाई मिली। दिल्ली सरकार के वकील इसके साथ ही कोर्ट को यह भी बताया कि जरूरत के हिसाब से टैंकर का इंतजाम भी हो गया है वहीं कुछ टैंकर को इंपोर्ट भी किया जा रहा है।

कोर्ट को जानकारी दी गई कि कल चीफ सेक्रेटरी के साथ जो बैठक हुई उसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाले ज्यादातर लोग शामिल नहीं हुए, जिस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वह लोग नहीं मान रहे हैं तो आप उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे..कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरीके से ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी चल रही है, इस पर रोक लगाने की जरूरत है ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है।

इस बीच कोर्ट में बहुत कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि अब वह (ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल करने वाले) भी देखें कि हम क्या कर सकते हैं हम दिल्ली सरकार को आदेश देंगे कि उनके प्लांट को अपने कब्जे में ले और उसको दिल्ली सरकार के चले गए हैं।

ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जिनको रेमीडीसीवीर इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है- कोर्ट

इस बीच एक वकील ने रेमीडीसीवीर इंजेक्शन को लेकर भी कोर्ट के सामने बात रखी, दलील देते हुए कहा गया कि ऐसा आदेश जारी हुआ है कि जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं उन्हीं को ही यह इंजेक्शन दिया जाए। लेकिन उन लोगों का क्या जो घर पर रहकर अपना इलाज कर रहे हैं। रेमीडीसीवीर इंजेक्शन को लेकर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है, जिनको इस इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है।

ऐसे में दिल्ली सरकार का यह आदेश की जो घर पर है किको यह इंजेक्शन नहीं दिया जाएगा यह पूरी तरह गलत है। ऐसे तो आप किसी की जान ले रहे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज की तारीख में अस्पतालों में फिर वह चाहे गरीब हो या अमीर किसी के इलाज के लिए बैठें नहीं बचे हैं तो ऐसे में आप कैसे उम्मीद करते हैं कि जो लोग अस्पताल में सिर्फ उन्हीं को रेमेडीसीवीर हैं इंजेक्शन मुहैया होगा। जो लोग अस्पतालों में बेड न मिलने के कारण घर पर हैं उनका क्या होगा ?? कोर्ट ने पूछा है कि आपको ऐसा क्यों लगता है कि वे अपने आप इंजेक्शन ले रहे हैं मरीज घर बैठकर कोर्ट ने कहा कि यह तो साफ है कि इस इंजेक्शन की भी जमाखोरी और कालाबाजारी हो रही है।

जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर कुछ लोग बड़ी संख्या में रेमीदेसीवीर इंजेक्शन कैसे खरीद लेते हैं। इसको लेकर कि कोई निगरानी होती है या नहीं। इस सबके बीच कोर्ट के सामने एक ऑक्सीजन सिलेंडर वाला कार्ड पेश किया गया। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार को निर्देश दे रहे हैं कि उनके प्लांट को दिल्ली सरकार अपने कब्जे में ले और उनके खिलाफ कार्रवाई करें। इस बीच कोर्ट ने एपिसोड नाराजगी जताते हुए कालाबाजारी और जमाखोरी करने वाले लोगों को लेकर टिप्पणियाँ करते हुए कहा यह जब नहीं है आप गिद्ध मत बनिए।

आप दिल्ली में सरकार चला रहे हैं, परिस्थितियों को सुधारने की जिम्मेदारी आपकी है- कोर्ट

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हर तरफ से सिर्फ गड़बड़ी है। आप उस गड़बड़ी को ठीक करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। आप सरकार और सत्ता में काबिज हैं आप दिल्ली में सरकार चले जा रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब कोई भी समस्या होती है तो दिल्ली सरकार अपने नोडल ऑफिसर का नाम आगे कर देती है, नोडल ऑफिसर सुपरमैन नहीं बन सकती।

महाराजा अग्रसेन अस्पताल को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले रिफिलर ने कोर्ट से कहा कि वे अस्पताल के इंजीनियर से बात कर रहे थे तो उन्हें बताया गया कि वह ऑक्सीजन वर्तमान में अन्य अस्पतालों को दे सकते हैं। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट काफी आहत नजर आई। हाईकोर्ट ने कहा कि उनके अस्पताल में मरीज मर रहे हैं तो भला यह ऑक्सीजन किसी दूसरे को देने को क्यों कहता है। आप झूठ बोलिए हम आप को सलाखों के पीछे भेज देंगे। कोर्ट ने कहा कि रिफिलर के इस जवाब से साफ है कि वह झूठ बोल रहे हैं इसका मतलब तो यह भी हो सकता है कि वह अस्पताल को दी जाने वाली सप्लाई की कालाबाजारी कर रहे थे। इसके बाद कोर्ट ने सेठ रिफिलर नाम के ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाले प्लांट को दिल्ली सरकार द्वारा टेकओवर करने का निर्देश जारी किया।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा कि सेठ रिफिलर के पास 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन होता है पर दिल्ली सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश में उसका नाम तक नहीं है यह सबसे बड़ा झटका है। कोर्ट ने इस कमी और गड़बड़ी पर दिल्ली सरकार से हलफनामे के दरी जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि हम आपकी यूनिट को सरकार के कब्जे में दे रहे हैं। लोक मर रहे हैं और आप मुनाफाखोरी में लगे हैं। हालांकि सेठ रिफिलर की तरफ से कहा गया हमारी गलती नहीं है हमको बताया ही नहीं जा रहा है कि किसको ऑक्सीजन की जरूरत है।

कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि अगर दिल्ली सरकार नहीं संभाल सकती तो हमको बताएं हम केंद्र सरकार को यह जिम्मेदारी दे सकते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज की सुनवाई से साफ हो गया है कि दिल्ली सरकार की ऑक्सीजन सप्लाई जिसमें लिक्विड और सिलेंडर दोनों शामिल है उसको लेकर व्यवस्था में कई खामियां हैं जिनको जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है।

ऑक्सीजन की इतनी किल्लत नहीं जितनी सामने आ रही है- केंद्र सरकार

कोर्ट ने इसके अलावा रेमेडीसिविर इंजेक्शन के साथ ही डेक्सामेथासोन और फैबिफ्लू जैसी दवाइयों के स्टाफ का पूरा इलाज बढ़ाने के लिए कहा। हां, जब यह ऑडिट कर रहा है तो यह भी कहा जाएगा कि कहीं ये दवाइयों की कालाबाजारी तो नहीं हो रही है। दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट से अपनी उस टिप्पणी पर पुनर्विचार करने को कहा जिसमें कोर्ट ने दिल्ली सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार की क्या बात है जब दिख रहा है कि एक फिलर वाली कंपनी जिसके पास 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन है, वह दिल्ली सरकार के रिकॉर्ड में ही नहीं है।

इस जानकारी के सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज की सुनवाई हमारे लिए अचंभित करने वाली थी क्योंकि केंद्र सरकार की तरफ से कहा जा रहा था कि ऑक्सीजन की इतनी किल्लत नहीं जितनी सामने आ रही है उस दौरान हमने उस विश्वास पर विश्वास किया था। नहीं किया था। लेकिन आज की तस्वीर यह दिखाती है कि वास्तव में काफी कुछ चौंकाने वाली एक कंपनी है जिसके पास 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन है वह दिल्ली सरकार के रिकॉर्ड पर ही नहीं है।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि शांति मुकुंद अस्पताल को जल्द से जल्द ऑक्सीजन मिलनी चाहिए अगर ऑक्सीजन की कमी से एक भी जान गई तो हम आपके अधिकारियों को उसके लिए उत्तर बाड़ मानेंगे और कार्रवाई करेंगे। कोर्ट ने कहा कि जब केंद्र सरकार कह रही थी कि हालात वैसे नहीं हैं जैसे कि दिख रहे हैं तो हमने केंद्र की बात पर विश्वास नहीं किया लेकिन आज जो हमारे सामने आया वह वास्तव में चौंकाने वाला है।

इस दौरान दिल्ली सरकार को लेकर कोर्ट ने एक बार फिर कोर्ट की गंभीर टिप्पणी की, कोर्ट ने कहा कि आज की सुनवाई से हम हिल गए हैं आप (दिल्ली सरकार) अपने कामकाज के तऱीके में सुधार करेंगे। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमारे लिए भी एक नई स्थिति है, जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप सरकार में आपको मिली हुई शक्तियों का एहसास होना चाहिए।

ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकड़ा हलफनामे के जरिए कोर्ट के सामने पेश करें- कोर्ट

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह अब तक ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकड़ा हलफनामे के जरिए कोर्ट के सामने पेश करें। इस हलफनामे में यह बताया गया कि मौत की वजह क्या हो रही है जब मौत हुई। क्योंकि ऐसे लोगों को मुआवजा देना राज्य की जिम्मेदारी है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आज हमको खबरों के माध्यम से पता चला कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जजों के लिए अशोक होटल में अस्पताल के बिस्तर की व्यवस्थाजाम किया है। यह बहुत गुमराह करने वाला है क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने कभी दिल्ली सरकार से इस बाबत में कोई बात नहीं कही। कोर्ट ने कहा कि हमने दिल्ली सरकार के अधिकारियों से बैठक कर बस यह कहा था कि दिल्ली की निचली अदालतों के दो जजों की कोरोनावायरस से मौत हो गई है। हमको यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि इस तरीके से जो लोग को भर्ती होने की जरूरत पड़े तो उनका ध्यान रखा जाए। जिसके बाद दिल्ली सरकार ने यह आदेश जारी कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अपनी मर्जी से कोई भी आदेश पारित करे जा रही है जबकि हमने उस बारे में कोई मांग भी नहीं की है। आदेश भी ऐसे हालात में जारी किए गए जब अस्पतालों में इमरजेंसी के हालात हैं, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टॉफ की कमी है। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर आप क्या चाहते हैं ऐसे आदेश के ज़रिए। क्या आप यह चाहते हैं कि आपने हमको फायदा दिया या आपने हमको खुश करने के लिए ऐसा किया।

मीडिया में गलतियाँ हुई हैं- दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि हमने अलग-अलग अस्पतालों के साथ में 25 और होटल को भी जुड़ा हुआ है। कोर्ट से मिली फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने कहा कि मीडिया में गलतियाँ हुई हैं जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आपके आदेश में यह लिखा है। कोर्ट ने कहा कि यहां मीडिया गलत नहीं है यहां आपका आदेश गलत है। जिसके बाद दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि हम अपने इस आदेश को वापस ले रहे हैं अभी से। कोर्ट ने कहा कि हम यह सोच भी नहीं सकते कि हम ऐसा आदेश जारी करने को कहेंगे वह भी तब जब दिल्ली में लोगों की सड़कों पर मौत हो रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई कल एक बार फिर जारी रहेगी जब दिल्ली सरकार को दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलर के पास ऑक्सीजन का कितना कोटा है किको बारे में जानकारी देनी है। साथ ही दवाइयों की कमी के मुद्दे पर भी सरकार क्या कर रही है किको बारे में कोर्ट को बताना है। दिल्ली सरकार को आज कोर्ट को हलफनामे के जरिए भी खुलासा करना है कि आखिर किसके कहने पर और क्यों उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के जजों और स्टाफ के लिए अशोक अस्पताल के 100 बेडों को आरक्षित रखने का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही दिल्ली सरकार को आज कोर्ट में हलफनामा देकर ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का आंकड़ा भी कोर्ट के सामने पेश करना होगा।

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment