वैशाख मास को सभी मास में उत्तम बताया गया है। विशाखा नक्षत्र से संबंध रखने के कारण इस महीने को वैशाख कहा गया है। इस मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं। इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान परशुराम और देवी मां की उपासना की जाती है। यह महीना धर्म, यज्ञ और तपस्या का सार माना जाता है। इस महीने जलदान का विशेष महत्व है। इस महीने में गंगा सप्तमी, मोहिनी एकादशी, अक्षय तृतीया जैसे महत्वपूर्ण त्योहार आते हैं।
वैशाख माह में पवित्र नदियों में सूर्योदय से पहले स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु के नाम का स्मरण करने से अतुलनीय पुण्य प्राप्त होता है। इस महीने प्रतिदिन सूर्यदेव को जल का अर्घ्य अर्पित करें। विष्णुसहरम का पाठ करें। इस महीने पेड़-पौधों की सेवा करें। इस महीने में केवल एक समय भोजन करें। पूर्वजों के नाम पर प्याऊ लगवाएं। पशु-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें। इस महीने में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की आराधना करें। कमल का पुष्प माँ लक्ष्मी को अर्पित करें। इस महीने में तेल मालिश, दिन में सोना, दो बार भोजन करना, सूर्यास्त के बाद भोजन करना वर्जित माना गया है। इस महीने अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है। श्री बद्रीनाथधाम के कपाट अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं। इस महीने शुक्ल पक्ष की नवमी को माता सीता धरती से प्रकट हुईं। मान्यताओं के अनुसार त्रेतागो का आरंभ भी वैशाख महीने से हुआ। वैशाख शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा आयोजित होती है। वैशाख पूर्णिमा को ब्रह्मा जी ने श्वेत और कृष्ण तिलों का निर्माण किया था। इस दिन दोनों प्रकार के तिलों से युक्त जल से स्नान करें, अग्नि में तिलों की आहुति दें। इस महीने शुक्ल पक्ष एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। यह व्रत रखने वाला विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है। वैशाख माह में तीर्थ में स्नान करने, पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है।
इस ग्राफ़ में दी गई धार्मिक धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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