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नई ऊर्जा का संचार करता है यह माह, इसी माह आरंभ हुई थी सृष्टि की रचना 

by Sneha Shukla

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चैत्र मास हिंदू कैलेंडर का पहला महीना है। सारांश ऋतु की शुरुआत इसी मास से होती है। चैत्र मास का संबंध चित्रा नक्षत्र से है, इसलिए इस मास का नाम चैत्र पड़ा है। इस महीने से प्रकृति में शुभता और नई ऊर्जा का संचार होता है। चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से नवरात्रि में मां दुर्गा के व्रत-पूजन का आरंभ होता है। मान्यता है कि जौ इस सृष्टि का पहला फसल था, इसीलिए इसे हवन में भी अर्पित किया जाता है। बसंत ऋतु में आने वाली पहली फसल भी जौ ही है, जिसे देवी मां को चैत्र नवरात्रि के दौरान अर्पित किया जाता है।

ज्योतिष में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि और पक्ष की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक, युधिष्ठिर का राज्याभिषेक और गुरु अंगददेव का जन्म हुआ। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही सतगण का प्रारंभ माना जाता है। चैत्र माह के प्रारंभ होने से चार मास तक जलदान करना चाहिए। इस महीने में कृष्ण पक्ष एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाती है। इस महीने में शुक्ल पक्ष एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शुक्ल तृतीया को मत्स्य जयंती के रूप में मनाते हैं। चतुर्थी को श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। पंचमी को लक्ष्मी पूजन एवं षष्ठी को स्वामी कार्तिकेय की पूजा की जाती है। सप्तमी को सूर्य पूजन और अष्टमी को मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। नवमी को भद्रकाली और दशमी को धर्मराज की पूजा करनी चाहिए। चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी को रंग पंचमी मनाई जाती है। चैत्र मास की पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र माना गया है। चैत्र मास में धीरे-धीरे अनाज खाना कम करना चाहिए। पानी अधिक पीना चाहिए, ऋतु फल अधिक खाना चाहिए। इस महीने चना का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। इस महीने में बासी भोजन नहीं करना चाहिए। इस माह सूर्यदेव और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना अत्यंत लाभदायक है। इस महीने लाल पैरों का दान करना चाहिए। नियमित रूप में पेड़ पौधों में जल देना चाहिए।

इस ग्राफ़ में दी गई धार्मिक धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।



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