चैत्र नवरात्रि 2021 का आज आखिरी दिन है। नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी देती हैं। शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रज्ञा, गरिमा, लघिमा, ईश्वरीयता और वशित्व यह 8 सिद्धियां हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि-
नवरात्रि की नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। सर्वप्रथम कलश की पूजा व साथ स्थाई सभी देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद माता के मंत्रो का जाप कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इस दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए। यह चक्र हमारे कपल के मध्य में स्थित है। ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति स्वचालित ही प्राप्त हो जाती है।
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मां सिद्धिदात्री का ऐसा स्वरूप है-
माँ सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। माँ के चार हाथ हैं। माँ ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और चरक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं।
नवरात्रि के नौवें दिन का शुभ रंग-
नवरात्रि की नवमी तिथि को बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ होता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।
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नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन अति उत्तम-
ज्योतिषरूपों के मुताबिक, नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना अति उत्तम माना जाता है। कहते हैं कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं।
माँ सिद्धिदात्री का भोग-
मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
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मां सिद्धिदात्री का पूजन मंत्र-
सिद्धगं तत्रयक्षाद्यैरसुरैन्दैरिप,
शिवायचित सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
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