आज नवरात्रि के पावन पर्व का सातवां दिन है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। आज माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा- अर्चना की होगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए मां दुर्गा ने मां कालरात्रि का रूप लिया था। मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से दूर हो जाती हैं। मां की कृपा से शनिदेव का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ता है। आइए जानते हैं कि आज किस समय पूजा करना शुभ होता है और किस समय पूजा नहीं करनी चाहिए।
- माँ कालरात्रि की पूजा के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:12 ए। एम।, 20 अप्रैल से 05:06 ए एम, 20 अप्रैल तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:54 ए एम से 12:46 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:22 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:36 पूर्वाह्न से 07:00 बजे तक।
अमृत काल- 04:18 ए एम से 06:01 ए एम तक, 20 अप्रैल।
निशिता मुहूर्त- 11:48 पी एम से 12:42 ए एम।, अप्रैल 20 तक।
- ये मुहूर्त में न माता की पूजा- अर्चना
राहुकाल- 07:29 ए एम से 09:06 ए एम तक।
यमगंड- 10:43 ए एम से 12:20 पी एम तक।
गुलिक काल- 01:28 पी एम से 03:45 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 12:46 पी एम से 01:38 पी एम तक।
वर्ज्य- 05:57 ए एम से 07:41 पी एम तक।
- माँ कालरात्रि का प्रिय पुष्प और शुभ रंग-
आज नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को रातरानी का पुष्प अर्पित करें। मां को रातरानी का पुष्प काफी प्रिय है। माँ को लाल रंग प्रिय है।
- मां कात्यायनी का भोग-
मां कालरात्रि को गुड़ सबसे ज्यादा पसंद है। आज के दिन मां को ग्राम का भोग जरूर पाते हैं।
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