दिल्ली सरकार ने 14 बड़े प्राथमिक अस्पतालों को 100% को विभाजित अस्पताल घोषित करने के अपने आदेश में संशोधन किया है। अब दिल्ली सरकार ने तय किया है कि इन 14 अस्पतालों में कुल 3553 बेड कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व किए जायेंगे।
जबकि कुल 784 बेड पर अवैध कोरोना मरीज़ों का फॉल अप ट्रीटमेंट होगा या इन मरीजों का इलाज जिनको होगा इमरजेंसी है या सर्जिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है। इन 14 केंद्रीय अस्पतालों को यह भी सुविधा दी गई है कि यह चाहे तो अपने कुल बिस्तर क्षमता का 35 फ़ीसदी तक बढ़ा सकते हैं और उन बिस्तर पर अवैध कोरोना रोगियों का इलाज कर सकते हैं ।दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ इन अस्पतालों के अधिकारों की बैठक जिसके बाद यह बीच का रास्ता निकाला गया।
14 बड़े अस्पताल > इससे पहले सोमवार को दिल्ली सरकार ने दिल्ली के 14 बड़े केंद्रीय अस्पतालों को 100% को विभाजित अस्पताल घोषित कर दिया था यानी इन अस्पतालों में अगले आदेश तक केवल कोरोना मरीजों का इलाज करने के आदेश दिए गए थे। दिल्ली सरकार के इस आदेश से अवैध कोरोना मरीजों की समस्या बढ़ गई थी और अस्पताल भी इस आदेश से खुश नजर नहीं आ रहे थे
इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने अपने 11 अस्पतालों में कोरोना के लिए रिजर्व बेड की संख्या बताई है। 4503 से उठकर 5221 कर दिया है यानी 718 बेड की बढ़ोत्तरी की गई है। इन 11 अस्पतालों में आईसीयू और वेंटिलेटर की संख्या भी बढ़ाई गई है। पहले इन अस्पतालों में 628 वेंटिलेटर थे, अब 656 वेंटिलेटर हो जाएंगे यानी 28 नए वेंटिलेटर जुड़ जाएंगे।
आईसीयू बिस्तर की संख्या 687 से बढ़ाकर 874 कर दी गई है < पी> जबकि आईसीयू बेड की संख्या 687 से बढ़ाकर 874 कर दी गई है यानी 187 आईसीयू बेड की बढ़ोत्तरी की गई है। जिन अस्पतालों में यह वृद्धि हुई है, वह लोकाय अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, बाबा साहब अंबेडकर अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, अंबेदकर नगर अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, दीपचंद बंधु अस्पताल, सत्यवादी राजा हरिशचंद्र अस्पताल आदि
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