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पहली लहर के मुकाबले कैसे अलग है कोरोना की दूसरी लहर, इन लक्षणों ने बढ़ाया मौत का आंकड़ा

पहली लहर के मुकाबले कैसे अलग है कोरोना की दूसरी लहर, इन लक्षणों ने बढ़ाया मौत का आंकड़ा

by Sneha Shukla

<पी शैली ="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफाई;">कोरोना की पूंछ ने देश में कोहराम मचाया है, ये बात किसी से छिपाई है। कई रिपोर्ट्स से ये बात साबित हुई है कि पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर ने बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसी तरह दूसरी लहर में कोरोना के लक्षणों में भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। दूसरी लहर में लक्षण और ज्यादा गंभीर हुए हैं इसलिए देश में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। इस तरह के मौसम में मौसम के मामले में लहरें लहरें से अलग होती हैं।

इस बार के शरीर के शरीर के लिए अभूतपूर्व थे I पहली लहर में लंग इंफेक्शन ना के बराबर था लेकिन दूसरी लहर में लै इंफेक्शन के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ, चेस्ट पेन, लगातार कफ और खांसी के साथ-साथ निमोनिया के लक्षण रोगियों के सामने हैं। आ गया। ये इसलिए भी हुआ क्योंकि दूसरी लहर में कोरोना के 25% मामलों में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन ने तबाही मचाई और इसका सबसे ज्यादा असर यंग एज ग्रुप के लोगों पर देखने को मिला।

पहली लहर में ऑक्सीजन लेवल का कम होने जैसे कोई लक्षण नहीं थे, लेकिन दूसरी लहर में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन लेवल कम होने से लोगों की जानें चली गईं ।ऑक्सीजन लेवल 92% कम होते ही मरीज की हालत चिंताजनक हो जाती है और फिर ऑक्सीजन का बंदोबस्त हो जाता है। ना हो पाने पर रोगी की जान चली जाती है। & nbsp;

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पहली में रोग की क्षमता और क्षमता अच्छी तरह से विकसित होती है। में थक्के जम जाना, स्किन पर रेसेज पड़ जाना और कंजक्टीवाइटिस जैसी बीमारियां भी शामिल हो गई हैं। & nbsp; पहली लहर में कोरोना मरीज निगेटिव होने के कुछ दिन बाद ठीक हो जाता था लेकिन अब & nbsp; दूसरी कहर में ऐसा नहीं है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी शरीर में लंबे समय तक बहुत ज्यादा कमजोरी बनी रहती है। इसके अलावा छमा भी चमकदार होती है जिससे थकान से जल्दी निजात मिलने में मुश्किल हो जाती है। & nbsp;

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