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पापमोचनी एकादशी 2021: चैत्र मास की एकादशी का हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। इसे पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस वर्ष पापमोचिनी एकादशी 07 अप्रैल दिन बुधवार को है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
पापमोचिनी एकादशी महत्व- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है, उसके सभी पाप खत्म हो जाते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी व्रत को विधि-विधान से रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पापमोचनी एकादशी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- ० मुह:२१ ए एम, अप्रैल ०ूर् से एम.५ एम ए एम।, अप्रैल ०। तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:16 पी एम से 06:40 पी एम तक।
अमृत काल- 04:44 पी एम से 06:24 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त 11:48 पी एम से 12:33 ए एम, अप्रैल 08 तक।
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पापमोचनी एकादशी व्रत मुहूर्त
पापमोचनी एकादशी व्रत पारणा मुहूर्त- दोपहर 01:39 बजे से 04:11 बजे (8 अप्रैल)
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- सुबह 08:40 बजे
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पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि-
-एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर दिखनान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्पी उच्चारण।
– उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
– वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापितपना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते मिलते हैं।
– अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें।
– इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
– फिर से धूप-दीप से वि विषाणु की आरती उतारें।
– शाम के समय भगवान विष्णु के आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
– रात्रि के समय सोए नहीं बल्की भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
– अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएँ और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा द्वारा विदा करें।
– इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
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