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पूर्व का संक्रमण और एंटीबॉडीज भी कोरोना के हमले से दोबारा बचाने की गारंटी नही- रिसर्च का दावा

पूर्व का संक्रमण और एंटीबॉडीज भी कोरोना के हमले से दोबारा बचाने की गारंटी नही- रिसर्च का दावा

by Sneha Shukla

कोरोनावायरस एक बार फिर लोगों को तबाह करने पर उतारू है। इस बार युवा ज्यादा उसका शिकार हो रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक, अब सामान्य होने वाले रोगियों में 20-45 साल की उम्र के लोगों की संख्या बहुत अधिक है। बच्चे भी दूसरी लहर में नहीं बच रहे हैं। अगर आप टीकाकरण को नजरअंदाज करने की सोच रहे हैं तो केवल इस कारण से क्योंकि आपको पूर्व में कोरोना का संक्रमण हो चुका है, तब आपको लांसेट रिस्परटॉरी मेडिसीन पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च सावधान करती है।

न्यू रिसर्च के मुताबिक, पहले संक्रमण के बावजूद युवाओं को वायरस फिर चपेट में ले सकता है और ये दूसरों को भी सचेत कर सकते हैं। पूर्व का संक्रमण और एंटी बॉडीज की मौजूदगी के बावजूद टीकाकरण अभी भी इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाने, फिर से संक्रमण को रोकने और वायरस के संचरण को कम करने के लिए आवश्यक है। इसलिए, जरूरी है कि युवा हर संभव वैक्सीन लगवाएं।

पूर्व के संक्रमण से इम्यूनिटी की सुनिश्चित नहीं

आइकैन स्कूल ऑफ मेडिसीन, अमेरिका के शोधकर्ताओं का कहना है कि पूर्व के संक्रमण से इम्यूनिटी की सुनिश्चितता नहीं मिल सकती है। लिहाजा, जो लोग कोविड -19 संक्रमण से ठीक हो चुके हैं, उन्हें भी टीकाकरण की जरूरत है क्योंकि ये अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया करा चुकी है। अनुसंधान के दौरान शोधकर्ताओं ने 2,346 युवाओं को जांच की। सभी प्रतिभागियों में से 189 सेरोपॉजिटिव थे (पहले ये कोरोनावायरस से हानिकारक और एंटी बॉडीज था) और 2,247 प्रतिभागियों की रिसर्च की शुरुआत में सेरोनिगेटिव थे।

फिर से ट्रांस ट्रांस ठीक हो गए मरीजों में मिला

शोधकर्ताओं ने कहा कि सेरोपॉजिटिव प्रतिभागियों में 19 (10 फीसद) रिसर्च के दौरान कोरोना की जांच में दूसरी बार पता चला है। जो प्रतिभागी सेरोनिगेटिव थे, उनमें 1,079 (48 फीसद) रिसर्च के दौरान शोध हो गए।

पुनः सशक्त लोगों में एंट बॉडीज कम था

इसके अलावा उन्होंने ये भी पाया कि सेरोपॉजिटिव ग्रुप में जो प्रतिभागी पुनर्जाग्रत थे, उनके अंदर कोरोनावायरस के खिलाफ उन लोगों के मुकाबले जो पुनर्मिलन नहीं हुए थे एंटी बॉडी का लेवल कम था।

दूसरी बार के संक्रमण में वायरल लोड 10 गुना कम

शोधकर्ताओं का कहना है कि पुनरावृति सेरोपॉजिटिव अंगों में वायरल लोड औसतन मात्र 10 गुना उन लोगों के मुकाबले जो सेरोनिगेटिव प्रतिभागियों की कम पाए गए, जिसका मतलब हुआ कि दूसरी बार कुछ जोखिम लोग अभी भी संक्रमण फैलाने की क्षमता रखते हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि अभी अध्ययन को और ज्यादा करने की जरूरत है।

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