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प्रयागराज में अस्पताल की बड़ी लापरवाही, मरीज की मौत के बाद वसूले जा रहे थे पैसे, पढ़ें पूरा मामला

प्रयागराज में अस्पताल की बड़ी लापरवाही, मरीज की मौत के बाद वसूले जा रहे थे पैसे, पढ़ें पूरा मामला

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में कोविड के सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां कोरोनाइड्स एक बुजुर्ग मरीज की मौत के बाद अस्पताल के लोगों ने उनके परिजनों को खबर तक नहीं की और लावारिस के तौर पर अंतिम संस्कार करा दिया। इतना ही नहीं अस्पताल के कर्मचारी परिवार वालों से 4 दिनों तक मौत की बात छिपकर उनसे स्वर्ग सिधार चुके बुजुर्गों को देने के लिए जूस व खाना वगैरह भी लेते रहे। अस्पताल का स्टाफ मृतक को जूस व खाना पहुंचाने के लिए परिवार वालों से पैसे भी ऐंठता रहा। & nbsp;

परिवार वालों को चार दिन बाद यह बात तब पता चली जब उस बिस्तर पर भर्ती किए गए दूसरे मरीज के परिजनों ने उन्हें यह जानकारी दी। इस मामले में अब अस्पताल प्रशासन चुप्पी साधे हुआ है और कुछ भी बोलने से बच रहा है।

उसी बिस्तर पर आ गया दूसरा रोगी

प्रयागराज के धूमनगंज इलाके के रहने वाले एज ऑफिस के रिटायर्ड कर्मचारी बच्ची लाल के पिता मोतीलाल की पिछले दिनों तबीयत खराब हुई। कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने और सांस लेने में तकलीफ होने के बाद मोतीलाल को 13 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रयागराज में यह लेवल 3 का इकलौता अस्पताल है। मोतीलाल को कोविद वार्ड के बिस्तर नंबर 37 पर भर्ती किया गया था। 16 अप्रैल को उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। उन्हें दूसरी मंजिल के बिस्तर नंबर 9 पर शिफ्ट किया गया था। 21 अप्रैल को बच्ची लाल को यह पता चला कि उनके पिता की मोती लाल की मौत तो 17 अप्रैल को ही हो गई है।

बराबर पहुंचता रहा जूस व फल

परेशान होकर उन्होंने अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया तो उन्हें डेथ सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें जानकारी दी कि 17 अप्रैल को मोतीलाल की मौत के बाद परिवार वालों का कोई नंबर ना होने की वजह से लावारिस के रूप में उनका अंतिम संस्कार करा दिया गया। हालांकि, बच्ची लाल का आरोप है कि वह 17 अप्रैल को थी और उसके बाद भी रोजाना अस्पताल जाती थी। कभी जूस कभी फल तो कभी खाना और दूसरे सामान वार्ड ब्वॉय को पिता तक पहुंचाने के लिए देते थे। वार्ड बॉय इसके बदले उन्हें रोज़ाना अलग से पैसे भी वसूलते थे और यह बताते थे कि पिताजी की तबीयत ठीक हो रही है।

उच्च अधिकारियों से की शिकायत

अस्पताल की इस लापरवाही से परिजनों में जबरदस्त नाराजगी है। उन्होंने इसकी शिकायत मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ ही तमाम आला अधिकारियों से की है और इस मामले में लापरवाही बरतने वाले दोषी लोगों के खिलाफ प्रकरण कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

दरअसल बच्ची लाल के पिता मोतीलाल की मौत के बाद उनके बिस्तर पर जिस दूसरे शख्स को एडमिट किया गया था, संयोगवश उसका नाम भी मोतीलाल ही था। एक ही नाम का होने की वजह से वार्ड ब्वाय व नीचे के कर्मचारियों को इस बात की जानकारी नहीं सकी थी। इस घटना से साफ तौर पर समझा जा सकता है कि प्रयागराज में को विभाजित रोगियों के इलाज के नाम पर किस तरह की लापरवाही व मनमानी की जा रही है।

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