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बलरामपुर: शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंच रहे हैं श्रद्धालु, कोरोना काल में भी एक महीने तक चलेगा मेला

बलरामपुर: शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंच रहे हैं श्रद्धालु, कोरोना काल में भी एक महीने तक चलेगा मेला

by Sneha Shukla

बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में कोरोना काल में भी भक्तों की आस्था स्वच्छ नजर आ रही है। यहां चैत्र नवरात्रि में लगने वाले एक महीने का राजकीय मेला भी शुरू हो गया है। मेले में सैंकड़ों सुरक्षाकर्मियों की तैनाती भी की गई है, जिससे किसी प्रकार की अप्रिय घटना ना हो।

कोरोना के कारण बरती जा रही विशेष सतर्कता
51 शक्तिपीठों में शामिल शक्तिपीठ देवीपाटन में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के मौके पर एक माहीने का मेला लगता है। मंदिर की ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से इसे राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है। मेले में देश दुनिया से श्रद्धालु देवीपाटन पहुंचकर, माता पटेश्वरी का दर्शन-पूजन करते हैं। कोरोना महामारी के नेतृत्व में पिछले साल चैत्र नवरात्रि में मेले का आयोजन नहीं हुआ था। इस वर्ष कोरोना के दूसरे फेज को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। मंदिर प्रवेश मार्ग पर श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जा रही है, उसके बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है। साथ ही पुजारियों को मंदिर प्रशासन की तरफ से सख्त निर्देश दिया गया है कि ‘ना तो आप प्रसाद चढ़वाएंगे और न ही टीका या तिलक लगाएंगे।’

बिना फेश के नहीं मिलेंगा प्रवेश
शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर महंत मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि सभी प्रवेश द्वारों पर संकाय लगाए जाने पर ही एंट्री मिलेगी। मंदिर परिसर में मंदिर और स्थानीय प्रशासन के माध्यम से भी पहलू को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पीठाधीश्वर ने बताया कि सरकार की ओर से जारी को विभाजित -19 से आरक्षण को लेकर निर्देशों का पालन किया जा रहा है। मेले की व्यवस्था और को विभाजित से बचाव को लेकर मंडलायुक्त और डीआईजी समीक्षा बैठक भी कर चुकी है। सीएम योगी आदित्यनाथ इस शक्तिपीठ के संरक्षक भी हैं।

नेपाल से आने वाले लोगों की जांच होगी
चैत्र नवरात्रि की पंचमी को नेपाल राष्ट्र से देवीपाटन मंदिर तक पहुंचने वाली शोभा यात्रा में सभी संतों, श्रद्धालुओं की नेपाल सीमा पर ही को विभाजित जांच कराई जाएगी। सीएमओ डॉ। विजय बहादुर सिंह ने बताया कि सीमा पर ही जनकपुर गाँव में यात्रा में सभी लोगों की विभाजित जांच की जाएगी। यह भी जानना आवश्यक है कि हजारों वर्षों से नेपाल के केरल चौखड़ा से पीर रतन नाथ योगी की पैदल शोभा यात्रा चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है। ये यात्रा नेपाल-भारत के रोटी-बेटी संबंधों को मजबूती से प्रगाढ़ता देती है। इस यात्रा के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व भी शक्तिपीठ से जुड़े हैं।

शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व
शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन अपने धार्मिक ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित (वस्त्र सहित बायां हाथ) गिरा था। पट सहित गिरने से यहाँ महासती को देवी पाटेश्वरी के नाम से पूजा जाता है। यहाँ महायोगी गुरु गोरक्षनाथ का भी इतिहास जुड़ा हुआ है, महायोगी ने ही यहाँ देवी की स्थापना की थी। महायोगी की जलाई गई अखंड धूनी आज भी यहाँ युग युगांतर से प्रज्वलित है। श्रद्धालु मां पाटेश्वरी का दर्शन करने के बाद अखंड धूनी का भी पूजन करते हैं। ये स्थान महाभारत कालीन राजा कर्ण से भी जुड़ा हुआ है। यहां राजा कर्ण स्नान कर सूर्य उपासना किया करते थे। वह कुंड आज भी यहां विद्यमान है जिसे सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है।

पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था
मंदिर परिसर और मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने बताया कि तकरीबन 600 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी मेला और मंदिर की सुरक्षा में लगाई गई है। इसमें 2 इंस्पेक्टर चंद्रहास मिश्रा और आरके राय सहित 40 सब इंस्पेक्टर शामिल हैं। साथ ही सर्किल के सीओ को निर्देशित किया गया है कि समय-समय पर वे मेले की सुरक्षा और मंदिर की सुरक्षा का जायजा लेते रहें। पुलिस अधीक्षक ने ये भी बताया कि कोविद -19 के प्रकोप को देखते हुए, सभी पुलिसकर्मियों को स्पष्ट लगाकर रहने और लगातार हाथ और खुद को सेनेटाइज करते रहने का निर्देश भी दिया गया है। मेले और मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं का संकाय लगाना अनिवार्य होगा।

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