<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> पटना: बिहार के बक्सर जिले के चौसा महादेवा घाट पर गंगा किनारे बड़ी संख्या में अधजली मूर्तियों के मिलने के बाद खूब बवाल मचा था। बक्सर का विवाद अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था, इसी बीच बुधवार को बिहार की राजधानी पटना के गुलबीघा पर दो दल भी दिखेंगे। युवक और बच्चे का शव गंगा में बह रहा था। दृश्य काफी खौफनाक था। हालाँकि, जब इस मामले में अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर गंगा में और कितने खतरे हैं? क्या ये जीनें कोरोना संभावितों की हैं? कहां से आई हैं? किसका फेका है? सवाल कई हैं, लेकिन अधिकारियों के पास जवाब नहीं है। बता दें कि बीते दिनों बक्सर के चौसा महादेवा घाट पर शस का अंबार दिखने के बाद सनसनी मच गया था। राष्ट्रीय स्तर पर बिहार सरकार की किरकिरी हुई थी। & nbsp;
गंगा में लगाया गया है महाजाल
बार्क प्रशासन ने अधजली शवों का बिहार का होने से इनकार किया था। साथ ही दोबारा ऐसा ना हो इसलिए बिहार और यूपी के बीच गंगा में महाजाल लगाया गया है ताकि उधर की शैलियों को बहकर इधर ना आए। महाजाल लगने के बावजूद गंगा में वसों के बहने से प्रशासनिक दावों और तैयारियों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। & nbsp;
गौरतलब है कि बक्सर जिले के चौसा महादेवा घाट पर लगभग चार दर्जन से भी अधिक लावारिश शवों के मिलने के बाद जिला प्रशासन पूरी तरह से मिल गया है। प्रशासन द्वारा घाटों पर से देर रात तक शवास को निकालने और उसके पोस्टमार्टम कराने का सिलसिला जारी है। अब तक कुल 71 शतों को विरूपित किया गया है। शवों के डिक जाने के कारण से मृत्यु का कारण पता नहीं चल रहा है। हालाँकि, ये शवों के डीएनए सुरक्षित रखा गया है।
पुलिसकर्मियों को भी किया गया तैनात
वहीं, पुनर्जोन का अंबार घाटों पर ना दिखे इसके लिए 100 रुपये किलो के हिसाब से लकड़ी बेची जा रही है। ताकि गंगा में लोगों द्वारा शव को बिना जलाए ना फेंका जाए। वहीं, इन घाटों पर पुलिस कर्मियों को भी तैनात कर दिया गया है। चौकीदार और गोताखोर की ड्यूटी लगा दी गई है, जो लगातार निगरानी कर रहे हैं।
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