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बिहार में लॉकडाउन के बाद से वैक्सीन लगवाने से कतराने लगे लोग, डीएम का निर्देश- टीका लेने वालों को परेशान ना करें

by Sneha Shukla

बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच पिछले कुछ सप्ताह से वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या में कमी देखी जा रही है, जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि लॉकडाउन के दौरान भी जो लोग टीकाकरण करते हैं। को जाने दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह की कोई असुविधा ना हो यह सुनिश्चित किया जाए।

स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि सूबे के सभी डीएम को निर्देश दिया गया है कि टीकाकरण के लिए जाने वाले लोगों को सड़कों पर नहीं रोका जाए। जो भी लोग टीकाकरण के लिए जा रहे हैं, उनका पहचान पत्र देखकर जाने को दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले से जारी दिशा-निर्देश के अनुसार टीकाकरण के लिए पंजीकरण कराने वालों को छूट दी गई है।

यदि बात ग्राउंड रिपोर्ट की जाए तो वह कुछ और ही दिखती है। बिहार में 5 मई से लॉकडाउन लगने के बाद वैक्सीन लगवाने के लिए बाहर निकलने में लोगों को डर सताने लगा है। उन्हें लगता है कि कहीं बाहर निकलने पर पुलिस उन्हें परेशान करती है या फिर आपसे ना लगा दे। आंकड़ों पर यदि गौर करें तो गुरुवार (लॉकडाउन के दूसरे दिन) टीका लगवाने वाले कुल लाभार्थी (दोनों खुराक) 95,202 थे, वहीं शुक्रवार (लॉकडाउन के तीसरे दिन) लाभार्थियों की कुल संख्या 67396 थी।

राजधानी पटना के रुमन यूसुफ (60 वर्ष) को वैक्सीन की दूसरी डोज 5 मई को लगवानी थी लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन लगने के कारण मैं दूसरा डोज लगवाने के लिए नहीं गया क्योंकि मैं प्रतिबंध के कारण बाहर निकलने से थोड़ा सा तनाव है। पता है कि मुझे कहां रोका जाएगा। एक निजी फर्म में काम करने वाले गर्दनीबाग निवासी रामेंद्रनाथ कर्ण ने भी ऐसा ही विचार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मैं बाहर जाने से डरता हूं क्योंकि हर नुक्कड़ पर लोगों को रोका जा रहा है। मुझे वैक्सीनेनी है क्योंकि यह आवश्यक है। लेकिन लॉकडाउन के दौरान लगाए गए प्रतिबंध एक बड़ी समस्या साबित हो रहे हैं।

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