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मथुरा: भले ही राधा-कृष्ण की होली का समापन धूल होली के साथ हो गए हों लेकिन श्री कृष्ण के बड़े भाई और बृज के राजा बलराम जी की नगरी में आज भी होली खेली गई। इस होली में ग्वालों के कपड़े फाड़कर कोड़ा बनाकर हुरियारिनों ने उन्हीं पर बरसाए। अबीर-गुलाल के बीच इन्द्रधनुषी हुरंगा ने लोगों का मन मोह लिया। हुरंगा को होली का बड़ा रूप माना जाता है।
हुरियारिनों ने बरसाए कोड़े
भले ही हर जगह होली का समापन हो गया हो लेकिन बृज में चालीस दिन तक चलने वाली होली की गूंज अब भी यहां बनी हुई है। हाथों मेंet लेकर मंदिर परिसर में नाचते हुरियारे एकत्र हुए। जैसे ही मंदिर के अंदर से बलराम जी की छड़ी रूपी झंडा आया तो यहां मौजूद हुरियारिनों ने अपने कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए। कपड़ों को रंग में भिगोकर कोड़ा बनाया और मारना शुरू कर दिया। हुरियारों ने दाऊजी महाराज की जयकारे लगते मंदिर की परिक्रमा की।
अगल है होली का अंजज
हुरंगे के दौरान हुरियारे इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वे कभी अपने साथियों को कंधे पर बैठा लेते हैं तो कभी उन्हें गिरा देते हैं। इस दौरान लगातार कपड़े के बनाए हुए कोड़े से हुरियारिन इन ग्वालों पर वार करते रहते हैं। इस दृश्य को देखकर यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते हैं।
ये कथा है
कहा जाता है कि बरसाने, नंदगाँव और गोकुल की लठामार होली खेलने के बाद बलदाऊ जी ने पूरे बृज के सभी गोपी और ग्वाल बालों से कहा कि तुम हमारे यहाँ आओ, हम तुमरे क्षीर सागर: नवलांगे, माखन मिश्री खिलाएंगे और तुम की होली की थकान मिटाओगे। विल करेंगे। इस पर सभी गोपी और ग्वाल बाल बलदेव के यहाँ पहुंचे। वहां देखा तो पानी के आलावा कोई व्यवस्था नहीं थी। बलदाऊ भांग के नशे में मस्त थे। ड्रोंस में पानी भरा हुआ था। फिर क्या था गोपी फर में आ गया और बलदाऊ जी सहित सभी GPales के कपड़े फाड़कर उनके कोड़े बनाकर उनकी धार्मिकता को दूर किया।
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