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महाराष्ट्र: बीजेपी सांसद ने नंदुरबार ‘ऑक्सीजन मॉडल’ को बताया दिखावा, सीएम को लेटर लिखकर कलेक्टर पर लगाए गंभीर आरोप 

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> मुंबई: महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले का "ऑक्सीजन मॉडल" पिछले कुछ दिनों से देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। दावा किया गया कि नंदुरबार के कलेक्टर डॉ। राजेन्द्र भारुद ने कोरोना के खतरे को देखते हुए जिले में तीन ऑक्सीजन प्लांट लगवाए, जिससे जिले में ऑक्सीजन का संकट पैदा हुआ। इसके बारे में कलेक्टर की काफी तारीफ भी हुई। लेकिन अब बीजेपी सांसद हिना गावित ने इस दावे को झूठा बताते हुए कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसे लेकर सांसद ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक लेटर लिखा है।

सांसद का दावा- जिले में ऑक्सीजन की कमी
बीजेपी सांसद गावित ने दावा किया है कि नंदुरबार अभी भी ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। यहां के कलेक्टर ने लोगों को झूठी जानकारी देकर लोगों को गुमराह किया और इसकी वजह से जिले को दूसरे राज्यों से मिलने वाली ऑक्सीजन की सहायता भी बंद हो गई है। इसका खामियाजा रोगियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कलेक्टर पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है।

नंदुरबार का ऑक्सीजन मॉडल क्या है? & nbsp;
महाराष्ट्र का नंदुरबार जिला गुजरात और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित एक आदिवासी जिला है। नंदुरबार में कोरोना की पहली लहर में मरीजों का आंकड़ा 190 तक पहुंच गया था। जिले के कलेक्टर डॉ। राजेंद्र भारुद बताते हैं कि उस समय जिले में सिर्फ 20 ऑक्सीजन बिस्तर मौजूद थे। लेकिन बार्सिलोना और अमेरिका में आए डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को देखते हुए उन्होंने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का काम शुरू किया। & nbsp;

दूसरी लहर की तीव्रता अधिक हो सकती है इसका अंजाजा लगाते हुए उन्होंने सरकारी ग्रामीण अस्पतालों में तीन नए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की। सितंबर में पहला, फरवरी में दूसरा और मार्च में तीसरा प्लांट बना। इस तरह से तीन प्लांट से लगभग 600 लीटर प्रति मिनट क्षमता से ऑक्सीजन बनने लगी। ये प्लांट के लिए राज्य के डिजास्टर फंड और जिला विकास यानी DPDC फंड का इस्तेमाल किया गया।

डॉ। भारुद ने ऑक्सीजन की लीकेज रोकने के लिए ‘ऑक्सीजन नर्स’ नामक संकल्पना शुरू करने का दावा भी किया, जिसमें हर 20 से 50 कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन पर निर्भर है उनके ऑक्सीजन इस्तेमाल ओर एपिसोड नजर रखने के लिए एक नर्स को तैनात किया गया है। मरीजों को टॉयलेट जाना हो या फिर उनकी ऑक्सीजन लेवल ज्यादा हो जाए उनका हिसाब से उनके इस्तेमाल को नियंत्रित किया जाना का मॉडल तैयार किया। जिसके सरहाना करते हुए इस मॉडल को राज्यभर में रेप्लिकेट करने को स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने टास्क फोर्स को सूचना दी थी। & nbsp;

नंदुरबार को प्रतिदिन 8 टन ऑक्सीजन की जरूरत
अब बीजेपी सांसद डॉ। हिना गावित इन प्लांट्स की उपयुक्तता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। गावित का कहना है कि, "जिले को हर दिन 8 टन ऑक्सीजन की जरूरत है। तीन ऑक्सीजन प्लांट में महज डेढ़ से दो टन ऑक्सीजन तैयार हो रही है। वहीं दो से ढाई टन ऑक्सीजन उन्हें गुजरात, औरंगाबाद और धुले से मिलती थी। इसके बावजूद जिले में चार टन ऑक्सीजन की कमी है। जब कोरोना मरीजों के आंकड़े दूसरी लहर में हजार के पार पहुंच गए हैं, तो ऑक्सीजन डेफिसिट जिले में ऑक्सीजन को पर्याप्त रूप से गलत कर रहा है।"

इस बारे में डॉ। हिना गावित ने सीएम कोटव ठाकरे को लेटर लिखकर कलेक्टर डॉ। राजेन्द्र भारुद पर कार्रवाई की मांग की है। डॉ। गावित का आरोप है कि गलत खबरों को हवा देकर कलेक्टर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। नंदुरबार ने कोरोना रोगियों का एक दिन में 1200 का आंकड़ा दूसरी लहर में दर्ज किया है। अब पिछले कुछ हफ़्तों में आंकड़ों को 200 से 250 के बीच नियंत्रित रखने में जिला प्रशासन सफल रहा है। लेकिन जिला प्रशासन के ड्रैगनबोर्ड से मिली जाई के अनुसार 9 मई तक नंदुरबार में 35,482 लोगों को नुकसान हुआ, जिसमें 5986 सक्रिय मामले हैं। अब तक जिले में 28849 मरीज कोरोना से रिकवर हुए हैं और 644 लोग अपनी जान गवा चुके हैं।