रमजान उल मुबारक के ठीक एक महीने यानि 30 रोज़ों के बाद ईद उल-फ़ितर का त्योहार मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार खुशियों लेकर आता है। यह भाईचारे, मोहब्बत का त्योहार है। यह त्योहार बलिदान और अपनेपन का प्रतीक है। यह त्योहार हमें बताता है कि हमें इंसानियत के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए ताकि हम अच्छा समाज बना सकें। इस त्योहार को मीठी ईद नाम से भी जाना जाता है। ईद के दिन सभी के चेहरे खुशी से चमकते हैं और चारों तरफ मोहब्बत का पैगाम फैलता है।
इस्लामिक कैलेंडर के सभी महीनों की तरह यह महीना भी नया चांद को देखते हुए शुरू होता है। इस मौके पर जतक और फितरा देकर जरूरतमंदों की मदद की जाती है। ईद पर सभी खुदा से बरकत की दुआ करते हैं। रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद दिखने पर, उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। ईद के अवसर पर पूरे महीने लोग अल्लाह की इबादत करते हैं, रोजे रखते हैं और कुरआन-ए-पाक की तिलावत करते हैं। ईद के दिन जरूरतमंदों की मदद करना वाजिब है ताकि जरूरतमंद भी अपनी ईद मना सकें। जतक और फितरा की धनराशि से जरूरतमंदों की मदद की जाती है। ईद प्यार बैंडिंग का त्योहार है। ईद पर लोग अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें एक महीने रोजा रखने की शक्ति प्रदान की। ईद के दिन नमाज़ पढ़ने से पहले हर मुसलमान का फर्ज होता है कि वह फितरा और जकात निकाले और उसे ज़रूरतमंदों की मदद करे।
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