मुकद्दस रमजान का महीना बेशुमार बरकतों वाला है। इस महीने में रोजेदारों पर अल्लाह तआला की बेशुमार रहमतें बरसती हैं। सभी तहहिव हो जाते हैं। इस महीने के तीसरे अशरे में अल्लाह तआला की इबादत करने से जहानुन्म से आजादी मिलती है। तीसरा अशरा 20 वें रोज़े के बुटिब से शुरू होता है जो ईद का चांद दिखाई देने तक जारी रहता है।
मुकद्दस माह रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। दूसरा अशरा भी मुकम्मल होने को है। तीसरा अशरा शुरू होगा इसी के साथ मस्जिदों में एतकाफ का सिलसिला शुरू हो जाएगा। रमजान में 20 वें रोजे के बुटिब से शुरू होकर चांद रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने को एतकाफ कहा जाता है। तीसरी अशरे की ताक रातों में शब-ए-कद्र भी आएगी। 21 से 30 रोजे तक तीसरी अशरा मनाई जाएगी। इसकी भी कुछ खास बातें हैं, जो रोजेदारों के लिए बेहद खास हैं। अल्लाह तआला फरमाते हैं कि एतकाफ में बैठने वाले मोमिन बंदे के तमाम गुनाह बख्श दिए जाएंगे। हदीस शरीफ में है कि जिस बस्ती की मस्जिद में कोई शख्स एतकाफ में बैठकर अल्लाह तआला की इबादत करे तो उस बस्ती के लोगों के गुनाहों को भी माफ कर दिया जाता है। पूरी बस्ती में अल्लाह तआला की रहमत बरती है।
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