नई दिल्ली: ऑक्सीजन संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सल्लिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, हम किसी के खिलाफ यहां नहीं पहुंचे हैं। केंद्र और दिल्ली अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 700 मिलियन टन ऑक्सीजन का ऑर्डर हुआ था, जिसमें से 585 मिलियन टन ऑक्सीजन पहुंच गया है। शुरू में बहुत समस्या थी। अब हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है। सवाल उसके वितरण का है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, आपने सुप्रीम कोर्ट का आदेश हाईकोर्ट में सही तरीके से क्यों नहीं रखा। किसी अधिकारी को अवमानना के लिए जेल में डालना। इससे ऑक्सीजन नहीं होगी। यह एक साथ काम करने का समय है।
जस्टिस शाह ने केंद्र से कहा कि बताएं कि ऑक्सीजन की समस्या हल करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? आप अपनी योजना बताओ हमें यह भी देखना होगा कि दूसरे राज्यों के साथ नाइंसाफी न हो। कोई भी इस तरह की बहस नहीं कर सकता कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ की मृत्यु हो गई। यह राष्ट्रीय विशेषाधिकार है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कल क्या कहा था
दिल्ली में ऑक्सीजन संकट और को विभाजित संबंधी मुद्दों पर कल करीब पांच घंटे तक सुनवाई की थी। पीठ ने कहा था, ‘हम हर दिन इस खौफनाक हकीकत को देख रहे हैं कि लोगों को अस्पतालों में ऑक्सीजन या आईसीयू बेड नहीं मिल रहे हैं, कम गैस आपूर्ति के कारण बिस्तर की संख्या जी दी गयी है।’
पीठ ने कहा था, ‘लिहाजा, हम केंद्र सरकार को कारण बताने को कह रहे हैं कि मई के हमारे आदेश और सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल के आदेश की तामील नहीं करने के लिए क्यों नहीं अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। नोटिस का जवाब देने के लिए हम पीयूष गोयल और सुमित्रा डावरा (केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी) को कल उपस्थित होने का निर्देश देते हैं। ‘
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