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हाइकोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग को आया होश?

हाइकोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग को आया होश?

by Sneha Shukla

नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते मामलों पर मद्रास हाईकोर्ट की फटकार खाने के बाद चुनाव आयोग ने जो फैसला लिया है वह एक अच्छा कदम है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर हमारा सिस्टम ऐसा क्यों बन गया है कि हर मामले पर न्यायपालिका के तीखे तेवरों के बाद ही उसे होश आता है?

चार राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनावों के नतीजे 2 मई को घोषित किए जायेंगे लिहाजा चुनाव आयोग ने नतीजों के बाद किसी भी तरह के विजय जुलुस निकालने या जश्न मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोरोना के बढ़ते संकट के बीच चुनाव आयोग के इस फैसले को सराहनीय कहा जा सकता है लेकिन कितना अच्छा होता है कि चुनाव-प्रचार के दौरान नेताओं की भीड़भरी रैलियों व रोड शो पर भी आयोग ने अगर ऐसी ही सख्ती दिखाई, तो देश में आज कोरोना ती शायद ये तस्वीर नहीं बनती।

जीतने वाला प्रत्याशी सिर्फ दो लोगों के साथ जीत का सर्टिफिकेट लेने जा सकेगा- आयोग

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम व पुडुचेरी के चुनावी परिणाम का ऐलान 2 मई को होना है। चार राज्यों में चुनाव खत्म हो चुका है जबकि पश्चिम बंगाल में 29 अप्रैल को अंतिम चरण की वोटिंग होनी है। आयोग के फैसले के मुताबिक अब नतीजों के बाद जीतने वाला प्रत्याशी सिर्फ दो लोगों के साथ ही अपनी जीत का सर्टिफिकेट लेने जा सकता है।

नतीजे वाले दिन या उसके बाद भी किसी तरह के विजय जुलुस पर पूर्ण पाबंदी रहेगी। कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग अभी भी कुछ और भी पाबंदियों लगा सकता है जिसके लिए पूरी तरह से गाइडलाइन्स जल्द जारी होने की संभावना है। कोरोना का संकट तो इस महीने की शुरुआत से ही काफी तेजी से बढ़ चुका था और ऐसे में चुनीवी रैलियों में उमड़ी भीड़ पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे थे।

डॉ व महामारी से जुड़े विशेषज्ञ न्यूज़ चैनलों की डिबेट में आकर बार-बार गुहार लगा रहे थे कि इन रैलियों पर तुरंत रोक लगाइये, वरना कोरोना का बेहद खतरनाक रूप देश को देखने को मिल सकता है लेकिन तब चुनाव आयोग ने किसी की एक न सुनी। । विपक्षी दलों के काफी शोर मचाने के बाद पश्चिम बंगाल में सातवें चरण के मतदान से एन पहले चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियों, रोड शो और पद यात्रा पर रोक लगाने की रस्म अदायगी करते हुए राजनीतिक दलों से समूह सभाओं करने की अपील की थी।

कोरोना केसों में तेजी से इजाफे के लिए अकेले चुनाव आयोग जिम्मेदार है- अदालत

अगर सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट ने अपने तीखे तेवर दिखाते हुए चुनाव आयोग को फटकारा नहीं होता, तो शायद आयोग आज यह फैसला भी न लेता। हाइकोर्ट ने कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफे के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि कोरोना केसों में तेजी से इजाफे के लिए अकेले चुनाव आयोग जिम्मेदार है और इसके लिए उसके अधिकारियों पर हत्या का केस दर्ज किया जाना चाहिए। देश के चुनावी इतिहास में किसी भी न्यायालय द्वारा चुनाव आयोग के लिए इतनी सख्त टिप्पणी शायद पहले कभी की गई होगी।

अदालत ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा था कि यदि चुनाव आयोग की ओर से 2 मई को मतगणना के दौरान को विभाजित प्रोटोकॉल के पालन का प्लान नहीं पेश किया जाता तो वह काउंटिंग हालवा देती। मद्रास हाई कोर्ट ने एपिसोड फटकार लगाते हुए कहा था कि देश में आई कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा था कि एक संवैधानिक संस्था के तौर पर चुनाव आयोग बेहद गैरजिम्मेदार रहा ।ऐसे में यही माना जाएगा कि हाई कोर्ट की फटकार के बाद 2 मई को जुलुस पर रोक लगाने का फैसला चुनाव आयोग ने लिया है।

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