कोरोना संक्रमण में वृद्धि और उपचार को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि सरकार से बात करें और बताएं कि राज्य में लॉकडाउन लगेगा या नहीं। महाधिवक्ता को बात करने का निर्देश देते हुए कहा कि मंगलवार तक कोई निर्णय नहीं आता है तो हाईकोर्ट कड़े फैसले ले सकते हैं।
कोरोना मरीजों के उपचार के संबंध में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने यह सवाल पूछा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश के बाद भी कोरोना मरीजों के उपचार की सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। राज्य के अस्पतालों में निर्बह ऑक्सीजन आपूर्ति की अब तक कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनी है। केंद्रीय कोटा से मिले रोज़ाना 194 एमटी ऑक्सीजन की जगह केवल 160 एमटी ऑक्सीजन का उठाव हो रहा है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में कोई एडवाइजरी कमेटी तक नहीं बनाई गई जो इस कोरोना विस्फोट से निपटे, किसी भी कमरे तक नहीं बना है। ऐसा लग रहा है कि पूरा तंत्र ध्वस्त हो गया है। बेड व वेंटिलेटर की कमी और पांच सौ बेड का बिहटा ईएसआईसी अस्पताल शुरू करने के आदेश पर भी पूरी तरह से काम नहीं हुआ। सरकारी रिपोर्ट भी भ्रामक थी, इसलिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाई गई। उसकी रिपोर्ट के उलट आंकड़े कोर्ट में विभाग दे रहे हैं। विभाग ने बताया कि प्रेशर स्विच एब्जॉर्वेशन सिस्टम के दो प्लांट दो को विभाजित अस्पतालों में लग गए और काम भी शुरू हो गए, लेकिन विशेषज्ञों की कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि आजतक किसी प्लांट से ऑक्सीजन उत्पादन शुरू नहीं हुआ है।
कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि मंगलवार तक सरकार से बात कर बताएं कि राज्य में लॉकडाउन लगता है या नहीं। यदि मंगलवार तक कोई निर्णय नहीं आता है तो हाईकोर्ट कड़े निर्णय ले सकता है। इसके बाद न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह व न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने शिवानी कौशिक की जनहित याचिका पर सुनवाई को मंगलवार के लिए स्थगित कर दिया। इस जनहित मामले की सुनवाई के जरिये ही हाईकोर्ट सूबे में कोरोना महामारी से सामना में सरकारी इंतजाम और कामकाज की अनदेखी कर रही है।
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