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होलिका दहन का क्या है पूजा-विधान, गेहूं की बालियां और गोबर के उपले रखें होलिका दहन की पूजा में

by Sneha Shukla

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इस वर्ष होलिका दहन रविवार 28 मार्च को है। रंगभरी होली सोमवार 29 मार्च को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि में खेली जाएगी। होली वाले दिन भगवान नृसिंह का स्मरण जरूर करें। होलिका दहन में होलिका पूजा की जाती है। पूजा में सर्वप्रथम गणेश का स्मरण कर स्थान शुद्धि करें। होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

होली की तारीख 2021: इस बार 28 मार्च को होलिका दहन होगा, होलिका दहन नहीं होगा

होलिका मंत्र-अश्रक्पाभयसत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिषैः। अतस्तथ पूजयिश्यामि भूते भूतिप्रदा गौर, कहते हुए तीन परिक्रमा करें। इसी मंत्र के साथ अर्घ्य भी दे सकते हैं। तांबे के एक लोटे में जल, माला, रोली, चावल, गंध, फूल, कच्चा सूत, बताशे-गुड़, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। साथ में नई फसल के पके चने की बालियां व गेहूं की बालियां आदि भी सामग्री के रूप में रख लें। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बने खिलौने रखें।

होलिका सींग मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल और ढाल व खिलौनों की कम से कम चार मालाएं अलग से घर से लाकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। इनमें से एक माला पितरों की, दूसरी हनुमानजी की, तीसरी शीतलामाता की और चौथी अपने परिवार के नाम की होती है। कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को प्रसन्न चित्त से एक-एक करके होलिका को समर्पित करें। रोली, अक्षत व फूल आदि को भी पूजन में लगातार प्रयोग करें। गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद जल से अर्घ्य दें। होलिका सींग होने के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ हिस्सा -गहंू, चना, जौ भी अर्पित करें। होली की पवित्र भस्म को घर में रखना चाहिए और होली खेलने वाले दिन लगाना चाहिए। रात में ग्राम के बने खाल प्रसाद स्वरूप लें।



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