डेटा समीक्षक जेम्स विलियन्स का कहना है कि कोरोना महामारी की शुरुआत से ही सरकारी और गैर सरकारी दो तरह का आंकड़ा लोगों को हो रहा है।) यहाँ बात दिल्ली या केंद्र की नहीं, बल्कि सभी सरकारों की है। उनके आंकड़े किसी माथापच्ची से कम भी नहीं हैं। कोरोना की जांच, मरीजों की पहचान, मौत इत्यादि से जुड़े लगभग सभी आंकड़े गणितीय आकलन से भी बाहर रहते हैं।
बुधवार को जारी दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 43,20,490 खुराक केंद्र सरकार से प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 40,00,970 खुराकें स्वास्थ्य कर्मचारी, एयरलाइन वर्कर और 45 या उससे अधिक आयु वालों को दी गई हैं।
ठीक इसी तरह 18 से 44 वर्ष की आयु वालों के लिए दिल्ली सरकार ने 817690 खुराकें ली हैं जिनमें से 3,82,620 खर्च किए गए हैं। दोनों ही आंकड़ों को मिलाकर देखें तो दिल्ली में अब तक 51,38,180 खुराकें आई हैं जिनमें 43,83,590 खर्च हुए हैं। इसमें वैक्सीन लगने और पूरी होने के साथ दोनों का आंकड़ा शामिल होता है। इसी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने 11 मई तक 41,64,612 लोगों को वैक्सीन मिलने की पुष्टि की है जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि यहां 2,18,978 वैक्सीन की खुराक पूरी हुई हैं। यानि कुल खर्च खुराक का पांच प्रतिशत हिस्सा बेकार हो गया है।
एक ही रिपोर्ट में दो अलग अलग आंकड़े
अब एक ही रिपोर्ट में दो अलग अलग आंकड़े भी समझ से परे हैं। दिल्ली सरकार की इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक 32,12,034 लोगों को पहली और 9,52,578 को दूसरी खुराक दी गई है। साथ ही आयुवर सरकार ने बताया कि 18 से 44 वर्ष की आयु के 4,20,023 लोगों को पहली खुराक दी गई है। जबकि इससे ऊपर वाले कॉलम में यह आंकड़ा 3,82,620 है।
अब केंद्र-दिल्ली की रिपोर्ट पर स्थिति
18 से 44 वर्ष की आयु वालों को लेकर अब दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच आंकड़ों की तुलना करते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 11 मई तक दिल्ली में 18 से 44 वर्ष के 421487 लोगों को वैक्सीन दी गई है। जबकि दिल्ली के पास दो आंकड़ें हैं जिनमें से 3. 3.82 और दूसरा 4.20 लाख है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट से बिल्कुल अलग हैं। दोनों के ही जिम्मेदार अधिकारियों से जबाव नहीं मिल गए।
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